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सत्यरथ .
प्राचीन चरित्रकोश
सत्यवमन्
कथन करने क लिए इसकी कथा 'शिवपुराण' में दी गयी | एक पुरुष, एवं यह बाहर निकल पड़े। मछली से उत्पन्न है ( शिव. शत. ३१; पांड्य २. देखिये)।
होने के कारण, इसकी शरीर से महली की गंध आती सत्यरथ चैगर्त-एक राजकुमार, जो त्रिगतराज थी। इसी कारण यह 'मत्स्यगंधा' नाम से प्रसिद्ध हुई। सुशर्मन् का भाई था। अपने पाँच 'रथी' (रथोदार) क्षत्रियकुलोत्पन्न वसु राजा की कन्या होने के कारण, यह बन्धुओं का यह नेता था (म. उ. १६३.११)। वयं क्षत्रियकन्या थी (स्कंद. ५.३.९७)।
भारतीय युद्ध में एक संशप्तक योद्धा के नाते यह | वेदव्यास का जन्म--आगे चल कर यमुना नदी के कौरवों के पक्ष में शामिल था, एवं इसने अर्जुन को मारने मल्लाहों ने इसे पाल पोस कर बड़ा किया, एवं यह अपने की प्रतिज्ञा की थी (म.द्रो. १६.१७-२०)। किन्तु अंत | पिता की सेवा के लिए यमुना नदी में नाव चलाने का काम में अर्जुन ने इसका वध किया (म. श. २६.४६)। करने लगी (म. आ. ५७.५०-६९)। एक दिन
सत्यवचस् राथीतर--एक तत्त्वज्ञ आचार्य, जो पराशर ऋषि ने इसे देखा, एवं इसके साथ समागम की सत्यकथन का विशेष पुरस्कर्ता था (ते. उ. १.९.१)। इच्छा प्रकट की। पराशर ऋषि से इसे वेदव्यास पाराशय रथीतर का वंशज होने से, इसे · राथीतर' पैतृक नाम नामक सुविख्यात पुत्र की उत्पत्ति हुई (म. आ. ५७. प्राप्त हुआ था। . .
८४-८५, पराशर देखिये)। सत्यवत्-एक राजा, जो शाल्वनरेश द्युमत्सेन का शांतनु से विवाह- इस प्रकार इसके कौमार्यावस्था में पुत्र, एवं मद्रराज अश्वपति की कन्या सावित्री का पति | ही व्यास का जन्म होने के पश्चात्, शांतनु राजा से इसका था। इसे बचपन से अश्वों के चित्र चित्रित करने का शोक | विवाह हुआ, जिससे इसे चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य नामक था, जिस कारण इसे 'चित्राश्च' नामांतर भी प्राप्त था। दो पुत्र उत्पन्न हुए।
इस अल्पायु राजकुमार के प्राण यमधर्म के पंजे से | चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य ये इसके दोनों ही पुत्र निपुत्रिक उड़ाने का कार्य इसकी पत्नी सावित्री ने अपने पातिव्रत्य- अवस्था में मृत हुए। अतः कुरुवंश का निवेश न हो इस सामर्थ्य से किया. जिस कारण ये दोनों अमर हो गये हेतु से, इसने अपनी स्नुषा अंबिका एवं अंबालिका को अपने (सावित्री देखिये)।
पुत्र व्यास से पुत्र उत्पन्न करने की आज्ञा दी । ये पुत्र ... ३. ( सो. वृष्णि.) यादववंशीय सत्यक राजा का आगे चल कर धृतराष्ट्र एवं पाण्डु नाम से प्रसिद्ध हुए। नामांतर । मत्स्य में इसे शिनि राजा का पुत्र कहा गया है. २. जमदग्नि ऋषि की माता, जो गाधि राजा की कन्या, (सत्यक ४. देखिये)।
ऋचीक ऋषि की पत्नी, एवं विश्वामित्र ऋषि की बहन थी। ४. तेजपूर नगरी का एक राजा, जो ऋतंभर राजा का | एक हजार श्यामकर्ण अश्व ले कर गाधि राजा ने पत्र था। इसका पिता ऋतंभर परम रामभक्त, गो-सेवक इसका विवाह ऋचीक ऋषि से किया था (ऋचीक एवं दानी राजा था। राम के अश्वमेध यज्ञ के समय, उसका | देखिये)। जमदग्नि के अतिरिक्त इसके शुनःपुच्छ. अतःदोप अश्वमेधीय अश्व शत्रुघ्न के द्वारा इसकी नगरी में लाया एवं शुनोलांगूल नामक अन्य तीन पुत्र थे (वायु. ९१.९२; गया। उस समय इसने शत्रुघ्न का सहर्ष स्वागत किया, ब्रह्मांड. ३.६६.६४)। अपने पातिव्रत्य धर्म के कारण, यह एवं अश्वरक्षक बन कर उसके साथ यह आगे बढ़ा (पद्म, मृत्यु के पश्चात् स्वर्गलोक चली गयी, एवं अपने अगले जन्म पा. ३०-३२)।
| में कौशिकी नदी के रूप में पुनः पृथ्वी पर अवतीर्ण हुई। सत्यवती-शांतनु राजा की पत्नी, जो चित्रांगद एवं
३. अगस्त्य पत्नी लोपामुद्रा का नामांतर । विचित्रवीर्य राजाओं की माता थी। इसे 'काली',
४. अयोध्या के हरिश्चंद्र शंकव नामक राजा की 'मत्स्यगंधा,' 'गंधवती,' 'योजनगंधा,' 'गंधकाली | माता, जो त्रिशंकु राजा की पत्नी थी। आदि नामान्तर भी प्राप्त थे।
५. सुबाहु राजा की पत्नी । राम के अश्वमेध यज्ञ के जन्म--यह उपरिचर वसु राजा की कन्या थी। समय जो ' दंपती' अश्व को नहलाने के लिए सरस्वती इसकी माता का नाम अद्रिका था, जो ब्रह्मा के शाप के नदी के तट पर गये थे, उनमें यह एवं इसका पति सुबह कारण मछली का स्वरूप प्राप्त हुई अप्सरा थी। आगे एक थे (पद्म. पा. ६७)। चल कर, कई मल्लाहों ने अद्रिका मछली को पकड़ लिया, सत्यवर्मन् त्रैगत--त्रिगर्तराज सुशर्मन् का एक एवं उस मछली का पेट चीर दिया, जिससे मत्स्य नामक | भाई, जो 'संशप्तक' योद्धाओं में से एक था (म. द्रो.
२०११