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________________ श्येनजित् प्राचीन चरित्रकोश श्रावण तदुपरांत वामदेव ने इसी बाण से दश वर्ष के श्येन- श्रमिष्ट-अकर एवं अश्विनी के पुत्रों में से एक जित राजकुमार का वध किया । पश्चात् इसके पिता दल | (मत्स्य. ४५.३३)। का शरीर भी वामदेव ने अचेतन बनाया। इस दुरवस्था श्रवण--श्रवस् नामक वसिष्ठकुलोत्पन्न गोत्रकार का में इसकी माता ने वामदेव ऋषि से क्षमा माँगी, एवं | नामांतर । अपने पति एवं पुत्र की जान बचायी (म. व. १९०.७३; २. गौतम नामक शिवावतार का एक शिष्य । शल देखिये)। ३. अक्रूर एवं अरुणा के पुत्रों में से एक (मत्स्य. २. सेनजित् राजा का नामान्तर | ३. एक महारथी राजा, जो भीमसेन का मामा था। ४. मुर दैय के सात पुत्रों में से एक (भा. १०.५९. भारतीय युद्ध में यह पाण्डव पक्ष में शामिल था (म. १२)। कृष्ण ने इसका वध किया। उ. १.१३९.२७)। ५. सोम की सत्ताईस स्त्रियों में से एक । श्येनभद्रं--प्रसूत देवों में से एक । ६. श्रावण नामक तपस्वी का पिता (श्रावण देखिये )। श्येनी--कश्यप एवं ताम्रा की कन्या । सृष्टि के समस्त श्रवणदत्त कोहल---एक आचार्य, जो सुशारद शालं. बाज पक्षी इसीकी ही संतान माने जाते हैं । ब्रह्मांड के कायन नामक आचार्य का शिष्य, एवं कुस्तुक शार्कराक्ष्य अनुसार यह पक्षिराज गरुड की पानी थी (ब्रह्मांड, ३.३ | नामक आचाय का गुरु था (व. बा. १)। ४४९)। किन्तु महाभारत में इसे गरुड के भाई अरुण | श्रवस--एक ऋषि, जो गृत्समवंशीय संत ऋषि का की पत्नी बताया गया है, जिससे इसे जटायु एवं संपाति पुत्र, एवं तम ऋपि का पिता था (म. अनु. ३०.६२)। नामक पुत्र उत्पन्न हुए थे (म. आ. ६६.६७; वा. रा. २. दक्षसावणि मनु के पुत्रों में से एक। अर. १४.३३)। ३. अमिताभ देवों में से एक। २. पृरुवंशीय प्रवीर राजा की पत्नी (म. आ. ८९.६)। ४. वसिष्ठकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । पाठभेद-'श्रवण'। श्रद्धा (स्वा.)-स्वायंभुव मन्वन्तर के दक्ष प्रजापति ५. भृगु ऋषि के पुत्रों में से एक ( वायु. ६५.८७)। की कन्या, जो धर्म ऋषि की दस पत्नियों में से एक थी। | श्रविष्कट-गौतम नामक शिवावतार का एक शिष्य इसकी माता का नाम प्रसूति था (म. आ. ७.१३)। (वायु. २३.१६४)। इसके पुत्रों के नाम शुभ एवं काम थे (भा. ४.१.४९- श्राद्धदेव--सूर्यपुत्र वैवस्वत मनु राजा का नामान्तर। ५०)। इसकी पत्नी का नाम श्रद्धा था, एवं पुरोहित का नाम २. सायंभुव मन्वन्तर के कर्दम प्रजापति एवं देवहूति वसिष्ठ था, जिसने इसकी इला नामक कन्या का रूपान्तर की कन्या, जो अंगिरस् ऋषि की पत्नी थी। इसके उतथ्य सुयुम्न नामक पुत्र में करने के कार्य में सहायता की थी एवं बृहस्पति नामक दो पुत्र, एवं सिनीवाली, कुहू, राका (दे.भा. महात्म्य ३; वसिष्ठ ९. देखिये)। एवं अनुमति नामक चार कन्याएँ थी (भा. ३. २४. श्राद्धाद-वृष नामक दैत्य का पुत्र (वृष देखिये)। २२)। श्रायस-एक पैतृक नाम, जो वैदिक साहित्य में ३. सूर्य की एक कन्या, जिसे 'सावित्री,' 'प्रसावित्री.' निम्नलिखित आचार्यों के लिए प्रयुक्त किया गया है:'वैवस्वती' आदि नामान्तर प्राप्त थे (म. शां. २५६.२१)। १.कण्व (तै. सं. ५.४.७.५, का.सं. २१.८); २. वीतहव्य ४. वैवस्वत मनु की एक पत्नी । (तै. सं. ५.६.५.३, पं. बा. ९.१.९)। 'श्रद्धा कामायनी-क वैदिक सूक्तद्रष्टी (ऋ. १०. श्राव---(सू. इ.) एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो १.१)। महाभारत के अनुसार युवनाश्व श्रावस्त राजा का पुत्र था श्रद्धादेवी-वसुदेव की पत्नियों में से एक, जिसके | (म. व.१९३.४)। पुत्र का नाम गवेषण था (मत्स्य. ४६.१९)। श्रावण--एक तपस्वी, जो वैश्य पिता एवं शूद्र माता श्रद्धालु--हंसध्वज राजा का प्रधान । का पुत्र था (वा. रा. अयो, ६३)। ब्रह्म में इसे श्रभ--वसुदेव एवं शांति देवा के पुत्रों में से एक ब्राह्मण कहा गया है, एवं इसके पिता का नाम श्रवण (भा. ९.२४.०)। दिया गया है (ब्रहा. १२३.३७)। इससे प्रतीत होता श्रमदागोपि--भृगुकुलोत्पन्न एक गोत्रकार । है कि, श्रवण इसका पैतृक नाम था। ९८९
SR No.016121
Book TitleBharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddheshwar Shastri Chitrav
PublisherBharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
Publication Year1964
Total Pages1228
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size32 MB
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