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. शब्दमाला • ६३ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ • | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ कक्ष 'पुं १११० मोटुं जंगल
कङ्केल्लि स्त्री ११३५ आसोपालव, झाड, कक्षा स्त्री पुं ५८९ काख
. अशोकनुं वृक्ष कक्षा स्त्री ६७५ वस्त्रनो छेडो, काछड़ी कगु स्त्री ११७६ कांग, पीळा चोखा कक्षा स्त्री १४६३ उपमा, समानपणुं कङ्गुनी स्त्री ११७६ कांग, पीळा चोखा कक्षा स्त्री १२३२ (शि. ११०) हाथीनी केड 'कङ्ग' स्त्री ११७६ कांग, पीळा चोखा
उपर बांधवानो चामडानो दोर | कच पुं ५६७ केश, वाळ कक्षापट पुं ६७६ लंगोटी
कचश्मश्रुनखाप्रवृद्धि स्त्री ६३ दाढीकक्षापुट पुं६७६ (शि. ५५) लंगोटी । मूछना वाळ अने नख न वधे तेवो कक्षीकृत पुं १४८९ (शि. १३४) स्वीकार | तीर्थंकरनो अतिशय
करेलुं | कच्चर न. १४३५ मलिन, मेलं कक्षीवत् पुं ८५३ स्फोटायन, व्याकरणना | कच्चित् अ. १५४० ईष्ट प्रश्न जणावनार
महाविद्वान ऋषि कच्छ पुं ९५३ जलथी व्याप्त देश कक्ष्या स्त्री १२३२ हाथीनी केड उपर कच्छ पुं. १०७७ तीर, किनारो
बांधवानो चामड़ानो दोर | कच्छप पुं १९३ नव निधि पैकी कखटी स्त्री १०३७ (शि. ९१) धोळी धातु,
पांचमो निधि . खडी कच्छप पुं १३५३ काचबो कङ्क पुं ७०७ युधिष्ठिर
| कच्छपी स्त्री २८८ सरस्वतीनी वीणी कडू पुं १३३३ कंक नामर्नु पक्षी जेना कच्छपी स्त्री १३५३ काचबी
पीछाथी बाणनी पुंख थाय छे | कच्छा स्त्री ६७५ वस्त्रनो छेडो, काछड़ी कडूट पुं ७६६ बख्तर, कवच कच्छाटिका स्त्री ६७५ वस्त्रनो छेडो, कङ्कटीक पुं २०० (शेष ४२) शंकर
काछडी कङ्कण न. ६६३. कडु, वलय, बंगडी (कच्छाटी) स्त्री ६७५ वस्त्रनो छेडो, 'कङ्कणी' स्त्री ६६५ घूघरी
काछडी कङ्कत पुं ६८८ कांसको, कांसकी कच्छुरपुं ४६० खस अने खरजवाना रोगवाळो कङ्कपत्र पुं ७७८' बाण ।
कच्छू स्त्री ४६४ खरजवा, खरजवं कडूमुख पुं ९०९ साणसी, चीपीयो कज्जल न. ६८६ काजळ कङ्काल. पुं. न. ६२८ हाडपिंजर | कज्जलध्वज पुं ६८६ दीवो ।