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अभिधानचिन्तामणिनाममाला • ६४ .
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ कञ्चुक पुं न. ६७४ चोळी, कांचळी वगेरे | कटुकाण पुं १३३० टीटोडी कञ्चुक पुं न. ७६७ चोळी, योद्धा वगेरेनुं । | कटोलवीणा स्त्री २९० चंडालनी वीणा
- छातीनुं सुतराउ बख्तर | कट्वर पुं ३५० अत्यंत खराब . कञ्चुक पुं. न. १३१५ सापनी कांचळी | कट्वर न. ४०९ (शे. १००) पा भागना कञ्चुकिन् पुं ७२७ अंतःपुरनो रक्षक
.. पाणीवाळु दहीं कञ्चुकिन् पुं १३०४ साप ....... कठिन पुं १३८७ कठोर स्पर्श, निष्ठुर कञ्चुलिका स्त्री ६७४ चोळी, कांचळी कठिनी स्त्री १०३७ धोळी धातु, खडी कट पुं. न. ६०७ केड ... 'कठिलक' पुं ११८८ कारेली कट त्रि. १०१७ सादडी, चटाई कठोर पुं १३८७ कठोर स्पर्श, निष्ठुर कट पुं १२२५ हाथीनु गंडस्थळ कड पुं ३४९ (शे. ९३) मूंगो कटक पुं ६६३ कडु, वलय, बंगडी
| कडङ्गर पुं ११८२ पराळ वगेरेनो भूको. कटक पुं न. ७४६ लश्कर
कडार पुं १३९७ लाल मिश्रित पीळो रंग कटक पुं न. १०३३ पर्वतनो मध्यभाग (कडिन्दिका) स्त्री २५८ आन्वीक्षिकी कटपू पुं २०० (शे. ४८) शंकर, महादेव
- वि. सर्व विद्या 'कटल्लक' पुं ११८८ कारेला, कारेली कण पुं स्त्री १४२७ लव, लेश, अल्प कटाक्ष पुं ५७८ वांकी नजरे जोवू ते (कणति) स्त्री १४०८ दुःखी माणसनो कटाटङ्कपुं २०० (शे. ४८) शंकर, महादेव .
आर्तनाद कटाह त्रि. १०२२ लोहीनी कडाई, तवी | कणय पुं ७८७ (शे. १५१) केवल लोढार्नु कटाह पुं. १२८३ (शेष १८३) पाडो ।
बनेल शस्त्रविशेष कटि स्त्री ६०७ केड
कणा स्त्री ४२१ पीपर कटिप्रोथ पुं (द्वि.व.) ६०९ कुला, धगडा | कणा स्त्री ४२२ जीरु कटिमालिका स्त्री ६६४ (शे. १३५) स्त्रीनी | कणाद पुं.८६२ (शि. ७६) वैशेषिक शास्त्रकार
केडनो कंदोरो | कणित न. १४०८ दुःखथी पीडितनो आर्तस्वर कटिलक पुं ११८८ कारेला, कारेली कणिश न. पुं. ११८१ कणशखें कटिसूत्र न. ६६४ स्त्रीनी केडनो कंदोरो | कणिसावर्जन न. ८६५ धान्यनी मंजरी, कटीर न. ६०७ केड
. • शींग वगेरे ग्रहण कर ते कटु पुं १३८९ ती, कटुरस 'कणिष' पुं ११८१ कणसतुं