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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ६२
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ औमीन न. ९६७ अळसी- खेतर। क न. १०७० (शि. ९५) पाणी औरभ्र पुं ६७० उननुं वस्त्र, कांबल. | कंस पुं २२० विष्णुनो शत्रु औरभ्रक न. १४१७ घेटाओनो समूह कंस पुं न. १०२४ पाणी पीवानुं पात्र, औरस पुं ५५० पोतानाथी स्वस्त्रीमां उत्पन्न
. प्यालो थयेल पुत्र | (कंस) न. १०४९ कांसु और्ध्वदेहिक न. ३७४ मरेलानी पाछळ मरण | कंसक न. १०५७ एक जातनी हीराकसी
दिवसे जे पिंडादि दान कर ते (कंसजित्) पुं २२१ विष्णु और्ध्वदैहिक न. ३७४ (शि. २५) मरेलानी | कंसोद्भवा स्त्री १०५६ सौराष्ट्र देशनी माटी, पाछळ मरण दिवसे जे पिंडादि दान करवू ते
. फटकड़ी और्व पुं ११०० वडवानल, समुद्रनो अग्नि | ककुद् १२६४ (शि. ११२) बळदना बे और्वशेय पुं १२३ अगस्त्य ऋषि
खभा उपरनो टेकरो औलूक्य न. ८६२ वैशेषिक दर्शनकार | ककुद पुं न. १२६४. बळदना बे औशीर न. ६८५ शयन अने आसन
खभा उपरनो टेकरो औषध पुं न. ४७२ दवा
ककुदावर्त पुं १२४३ (शि. १८१) विशिष्ट औषधि स्त्री १११७ फळ परिपकव थतां जे
___ आवर्तवाळो घोडो वृक्ष नाश पामे छे ते घउं, डांगर, जव वगेरे | ककुदिन् पुं १२४३ (शे. १८१) विशिष्ट औषधिगर्भ पुं १०५ (शे. १२) चंद्रमा,
. आवर्तवाळो घोडो
चंद्र | ककुद्यत् पुं १२५७ जुवान बळद 'औषधी' स्त्री ११९७ घउं, डांगर, ककुद्यती स्त्री ६०७ केड
___ जव वगेरे धान्य ककुभ् स्त्री १६६ दिशा . औषधीपति पुं १०४ चंद्रमा, चंद्र ककुभ पुं २९१ वीणानो नीचेनो भाग (औषधीश) पुं १०४ चंद्रमा, चंद्र। ककुभ पुं ११३५ सादड़ानुं झाड़, अर्जुन वृक्ष औष्ट्रक न. १४१६ ऊंटनो समूह | कक्कोल न. ६३८ कंकोल, यक्षकर्दममांनी . क .
एक वस्तु क पुं २११ ब्रह्मा
कक्कोलक न. ६४६ कंकोल क न. ५६६ मस्तक
कक्खट पुं १३८६ कठोर स्पर्श, निष्ठुर, क न. १०६९ पाणी
कठिन (विशेष्य साथे त्रि.)