________________
शब्दमाला
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ ( ऐशानी ) स्त्री १६९ - ईशान खूणो (ऐश्वर्य) न. २०२ अणिमा वगेरे आठ ऐश्वर्य
ऐषमस् अ. १५४२ ( शे. २०५) चालतुं वर्ष • ओ •
६१
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ औदरिक पुं ४२८ उत्कर्षनी इच्छारहित, भूखथी पीडायेलो, मात्र पोतानुं ज पेट भरनार औदरिक पुं ४५० (शि. ३२) मोटा पेटवाळो
औदश्वित न. ४११ अर्धा पाणीवाळा दहीं थी संस्कारित द्रव्य
ओकस् न. ९९१ घर
ओघ पुं २९२ शीघ्र गतिवाळं नृत्यादि ओघ पुं १०८७ प्रवाह ओघ पुं १४११ समूह समुदाय ओङ्कार पुं २५० एक मंत्र बीज ओजस् न. ७९६ पराक्रम ओण्ड्र पुं ९६१ केरळ, (मलबार) ओतु पुं १३०१ बिलाडो
ओदन पुं न. ३९५ भात
ओम् अ. १५४० स्वीकार जणावनार, हा औदुम्बर न. १०३९ ( शि. ९१ ) त्रांबु औदुम्बर पुं ८१६ उदुम्बर, व्रतमां धारण
ओषण पुं १३८९ कटुरस, तीखुं ओषधि स्त्री १११७ फळ परिपकव थतां जे वृक्ष नाश पामे छे ते घउं डांगर, जव वगेरे ओष्ठ पुं. ५८१ होठ
• 37. औक्षक न. १४१६ बळदनो समूह औजस न. १०४५ (शे. १६३) सोनुं औड्रपुष्प न. ११४७ जपा पुष्प, जासुद ( औत्तानपाद) पुं १२२ ध्रुव ( औत्तानपादि) पुं १२२ ध्रुव : औत्सुक्य न. ३१४ उत्सुकता, उत्साह औदनिक पुं ७२२ रसोइयो
औदश्वित्क न. ४११ अर्धा पाणीवाळा दहींथी संस्कारित द्रव्य
औदात्त्य न. ६५ उच्चवृत्तिपणुं,
A
प्रभुवाणीनो बीजो गुण
औदार्य न. ६९ तुच्छता विनानी वाणी, प्रभु - वाणीनो २३मो अतिशय
औदार्य न. ५०९ वगर महेनते प्राप्त थनार सात सात्त्विक अलंकार पैकी स्त्रीनो बीजो अलंकार
करवा योग्य वृक्षनो दंड (औद्दालक) न. १२१४ मधनी एक जाति औपगवक न. १४१६ उपगुना वंशनो समुदाय ( औपपातिक) न. २४५ प्रथम उपांग सूत्र औपम्य न. १४६३ उपमा, समानपणुं औपयिक न. ७४३ योग्य, न्याययुक्त औपरोधिक पुं ८१५ पीलुनो दंड औपवस्त न. ८४२ (शि. ७३) उपवास औपवस्त्र न. ८४२ उपवास औपवाह्य पुं १२२२ (शि. ११०) राजाने बेसवा योग्य हाथी
"