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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ५८
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक./ अर्थ ऋक्थ न. १९२ धन
ऋषभ पुं २९ प्रथम तीर्थंकर . ऋक्ष न. १०८ नक्षत्र, तारा
ऋषभ पुं १२५६ बळद ऋक्ष पुं १२८९ रीछ
ऋषभ पुं१४०१ सात स्वरमां बीजा स्वरनुं नाम ऋग्विद् पुं ८१९ ऋग्वेद जाणनार ब्राह्मण ऋषभ पुं १४४० आ शब्द उत्तरपदमां (ऋग्वेद) पुं २४९ वेदनो प्रकार, ऋग्वेद | लगाडवाथी प्रशंसावाचक शब्द बने छे (आ ऋच् पुं २४९ ऋग्वेद ।
शब्दनुं लिंग विशेष्य प्रमाणे बदलातुं नथी) ऋचीष न. १०२० लोढी, कलाडं ऋषि पुं ७६ साधु, मुनि ऋजीष न. १०२० लोढी, कैलाडु ऋषिकुल्या स्त्री १०८२ गंगा नदी ऋजु पुं ३७५ सरळ
ऋष्टि पुं. स्त्री ७८२ तलवार | ऋजु पुं १४५६ सरळ, सीधुं . 'ऋष्य' पुं १२९४ एक प्रकारनी हरणनी जाति (ऋजुरोहित) न. १७९ इन्द्रनुं सरळ धनुष्य | (ऋष्यकेतु) पुं २३० कामनो पुत्र ऋण न. ८८१ करज, देवू
'ऋष्यप्रोक्ता' स्त्री ११५१ कौवच ऋत न. २६४ सत्य, साधु
ऋष्याङ्क पुं २३० कामनो पुत्र ऋत न. ८६६ खेतरमां पडेला दाणा,
____ मंजरीने ग्रहण करवू ते | एक पुं ८७३ एक संख्या ऋतु स्त्री १५५ ऋतु ।
एक पुं १४५७ एकलो. ऋतु पुं ५३६ स्त्रीना रजस्नो काल | एक पुं १४६८ भिन्न, जुईं ऋतुमती स्त्री ५३५ रजस्वला स्त्री . एकक पुं १४५७ एकलो ऋतुवृत्ति पुं १५९ (शे. २६) वरस | एककुण्डल २२४ बळदेव ऋते अ. १५२७ विना, सिवाय
एककुण्डल पुं १३०७ (शि. ११६) ऋद्ध पुं ३५७ धनाढ्य, पैसादार
शेषनाग 'ऋद्ध' न. ११८३ मसळेलुं अनाज एकगुरु पु ७९ गुरुभाइ, सहाध्यायी ऋद्धि स्त्री ३५७ संपत्ति, समृद्धि | "एकतर' पुं १४६८ जुहूं, भिन्न ऋभु पु ८८ (ब.व.) देवो, देवता एकतान न. १४५८ एकाग्र ऋभुक्षिन् पुं १७२ इन्द्र
एकताल पुं १४१० गीत वाजींत्र आदिनुं ऋश्य पुं १२९४ एक प्रकारनी हरणनी जाति
सरखापणुं ऋषभ पुं २६ प्रथम तीर्थंकर | एकदन्त पुं २०७ गणेश, विनायक, गणपति