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- शब्दमाला • ५७ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ करीकृत न. १४८८ स्वीकार करेलं ऊर्ध्वलिङ्ग पुं १९६ शंकर, महादेव .. करु पुं स्त्री ६१३ साथळ
ऊर्ध्वलोक पुं ८७ स्वर्ग करुज स्त्री ८६४ वैश्य . ऊर्मि पुं स्त्री १०७५ पाणीना मोजा, लहेरो
— स्त्री ७९६ (शि. ७०) पराक्रम ऊर्मिका स्त्री ६६३ वींटी, वेढ कर्ज पुं.१५५ कार्तिक मास. ऊर्मिमत् न. १४५७ वांकुं सज पुं स्त्री ७९६ पराक्रम
ऊल्ब पुं न. ५४० शुक्र अने रुधिरनुं बर्जस् न. ३०० उत्साह, वीररसनो ..
मिश्रण, गर्भवेष्टन चर्म स्थायी भाव . | 'ऊर्व' पुं ११०० वडवानल ऊर्जस्वत् वि. ७९२ (शि. ६९) अतिशय | ऊष पुं ९४० खारी माटी
पराक्रमी | ऊषण न. ४१९ काळा मरी ऊर्जस्विन् वि. ७९२ अतिशय पराक्रमी ऊषणा स्त्री ४२१ (शे. १०२) पीपर कर्जस्वल पुं ७९२ अतिशय पराक्रमी ' ऊपर न. ९३९ अनाज न ऊगे तेवी भूमि, वर्णनाभ पुं १२१० करोळियो, लूता . . उखर भूमि कर्णायु पुं ६७० उननुं वस्त्र, कांबल (ऊष्म) पुं१५७ ग्रीष्मऋतु, जेठ अने अषाढमां गर्णायु पुं १२७६ घेटुं. .. ऊष्मक पुं १५७ ग्रीष्मऋतु, जेठ । अर्ध्व पुं ४९२ ऊभेलो
अने अषाढमां ऊर्ध्वक पुं २९३ ऊंचा मुखवाळु मृदंग ऊष्मन् पुं ११०२ गरमी, हूंफ कार्यकच पुं:१२२ (शे. १७) केतुग्रह उष्मायण न. १५७ (शे. २५) ग्रीष्मऋतु, ऊर्ध्वकर्मन् पुं २१९ (शे. ६८) विष्णु,
जेठ अने अषाढमां नारायण | ऊह पुं ३११ युक्तिपूर्वक विचारवं ते, अर्ध्वक्षिप्त न. १४८२ ऊंचे फेकेलं
बुद्धिनो पांचमो गुण ऊर्ध्वजानुक पुं ४५५ ऊंचा ढींचणवाळो | ऊह न. ३२३ विचारणा ऊर्ध्वज्ञ पुं ४५६ ऊंचा ढींचणवाळो | ऊहा स्त्री ३११ (शि. १९) युक्तिपूर्वक कजु पुं ४५५ ऊंचा ढींचणवाळो
विचारवं ते, बुद्धिनो पांचमो गुण अर्धन्दम पुं.४९२ ऊभेलो. .. (ऊहा) स्त्री ३२३ विचारणा (ऊर्ध्वदेहिक) न. ३७४ मरेलानी पाछळ
.ऋ . - मृत्युना दिवसे. दान करवू ते | ऋण न. १९२ धन