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- शब्दमाला • ५१ .
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ उन्नतीश पुं २३१ (शे. ८०) गरुड पक्षी | उपकारिका स्त्री ९९३ राजमहेल, उन्नयन न. ३२२ विचारणा
तंबु, डेरा वगेरे उन्नस पुं ४५२ ऊंचा नाकवाळो उपकार्या स्त्री ९९३ राजमहेल, उन्नाह न. ४१६ कांजी, राब
तंबु, डेरा वगेरे उन्निद्र न. ११२९ खीलेलं पुष्प उपकुल्या स्त्री ४२१ पीपर उन्मत्त पुं ११५१ धतुरो ।
उपकूप न. १०९२ हवाडो, कूवानी पासे उन्मत्तवेष पुं २०० (शे. ४५) शंकर,
___ ढोरने पाणी पीवानुं स्थान
महादेव | उपक्रम पुं १४१० ज्ञानपूर्वक आरंभ, शरुआत उन्मदिष्णु पुं ४२९ उन्मत्त
उपक्रोश पुं २७१ निंदा उन्मनस् पुं ४३६ उत्साही, आतुर उपगत पुं ३७४ मरेलो, मृत्यु पामेल उन्मन्थ पुं ३७१ हिंसा
उपगत न. १४८९. स्वीकारेलु उन्माथ पुं ९३२ पशु-पक्षी वगेरेने उपगूहन न. १५०७ आलिंगन
पकडवानो फांसो उपग्रह पुं ८०६ केदी, बंदीवान उन्माद पुं ३२० घेलछा, चित्तभ्रम उपग्राह्य पुं ७३७ दान, भेट, लांच उन्मादसंयुत पुं ४२९ उन्मत्त उपज पुं १००१ पासेनो आश्रय, पाडोशीनुं घर अन्मिषित न. ११२८ खीलेलं पुष्प | उपचर्या स्त्री ४७३ रोग दूर करवानी क्रिया उन्मीलन न. ५७८ आंख खोलवी ते उपचार पुं ४७३ रोग दूर करवानी क्रिया उन्मुख पुं ४५७ ऊंचा मुखवाळो । उपचार पुं४९७ सेवा, भक्ति, पूजा उन्मूलित न. १४८० मूळमाथी उखेडी नांखेल | उपचार पुं ७३७ दान, भेट, लांच उन्मेष पुं ५७८ आंख खोलवी ते
उपचारपरीतता स्त्री ६५ गामडियापणानो उपकण्ठ न. १२४९ घोड़ान कोधथी चारे | अभाव, प्रभुवाणीनो बीजो गुण
- पगे ठेकीने चालवू ते / उपचित पुं ४४९ बलवान । उपकण्ठ न. १४५० नजीक, समीप | उपजाप पुं ७३६ भेद, संगठन तोडq ते उपकरण न. ७१६ नोकर, चाकर उपजिह्वा स्त्री १२०७ उधई
वगैरे (राजानो) परिवार | उपज्ञा स्त्री १३७३ प्रथम ज्ञान, उपदेश उपकर्या स्त्री ९९३ (शि. ८६) राजमहेल, विनानुं ज्ञान. जेम - चन्द्रोपज्ञ व्याकरण
तंबु डेरा वगेरे । उपताप पुं ४६३ रोग