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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ५० शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ उद्घातन न. १०९३ (शि. ९८) रेंट | उद्भिद् पुं. १३५७ खंजन, तीड वगेरे उदंश पुं १२०९ मांकड
__ जमीन फाटीने उत्पन्न थनार जंतु उद्दान न. ४३९ बंधन
उद्भिद न. १३५७ खंजन, तीड वगेरे उद्दाम न. १४६६ अंकुश रहित
__ जमीन फाटीने उत्पन्न थनार जंतु उद्दाम पुं १८८ (शे. ३९) वरुण देवता | उद्यम पुं३०० उत्साह, वीररसनो स्थायीभाव उद्दाल पुं ११७७ कोदरा
उद्यान पुं न. १११२ बगीचो . उयोत पुं १०१ प्रकाश
उद्योग पुं३०० उत्साह, वीर रसनो स्थायीभाव उद्दाव पुं ८०३ भागी ज़,
उद्र पुं १३५० पाणीनो बिलाडो उद्घ पुं १४४१ आ शब्द उत्तरपदमां (उद्रङ्ग) पुं ९७२ कर्वटथी ऊतरतुं अने जोडवाथी प्रशंसा वाचक शब्द बने छे (आ
पत्तनथी श्रेष्ठ नगर शब्द- लिंग विशेष्य प्रमाणे बदलातुं नथी) | उद्वत्सर पुं १५९ वरस उद्धत पुं ४३१ अविनीत
| उद्वर्तन न. ६३५ चोळवू, उद्वर्तन उद्धर पुं १८८ (शे. ३८) राक्षस उद्वह पुं ५४२ पुत्र उद्धर्ष पुं १५०८ उत्सव, ओच्छव | (उद्वहा) स्त्री ५४२ पुत्री उद्धव पुं १५०८ उत्सव, ओच्छव 'उद्वात' न. १४९५ वमन करेलु - अन्नादि उद्धान न. १०१८ चूलो
उद्धान्त पुं. १२२१ मद विनानो हाथी उद्धार पुं८८१ करज, देवू
उद्वान्त न. १४९५ वमन करेलुं अन्न वगेरे उधुर न. १४२८ ऊंचुं
उद्धासन न. ३७१ हिंसा उधुषण न. ३०६ रोमांच
उद्धाह पुं ५१८ विवाह उद्धृष पुं ४०१ (शे. ९९) चोखानी धाणी | उद्वेग न. ११५४ सोपारी उद्धृत न. १४८० मूळमाथी उखेडी नांखेल | उन्दर पुं १३०० (शि. ११५) उंदर 'उद्ध्मान' न. १०१८ चूलो
उन्दुर पुं १३०० उंदर उद्ध्य पुं १०९१ मोटी नदी, नद, द्रह उन्दुरु पुं १३०० उंदर उद्भट पुं ३६७ उदार, महात्मा उन्न पुं १४९२ भीy: पलळेलु उद्भव पुं १३६७ जन्म, उत्पत्ति उन्नत न. १४२८ ऊंचुं उद्भिज्ज न. १३५७ खंजन, तीड वगेरे | उनतानत न. १४६८ स्वाभाविक ऊंचुं
जमीन फाटीने उत्पन्न थनारा जंतु | . परंतु कंईक नमेलुं