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शब्दमाला . ४९
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ उदय पुं.५४ आवती चोवीशीना ७मा तीर्थंकर | उदासीन पुं ७३२ शत्रु अने मित्र राजाथी उदय पुं १०२७ उदयाचल पर्वत
भिन्न राजा उदय पुं १४३१ ऊंचाई
उदाहार पुं २६२ प्रस्तावना उदर न. ६०४ पेट
उदित न. २४१ (शे. ८२) वाणी, वचन उदरग्रन्थि स्त्री ४६९ पेटनी गांठ, बरोळ | उदीची स्त्री १६७ उत्तर दिशा उदरत्राण न. ७६८ पेटनं बख्तर | उदीचीन न. १६८ उत्तर दिशामां उत्पन्न थयेल उदरपिशाच पुं ४२८ बधुं खाई जनार | उदीच्य पुं ९५२ शरावती नदीनो पश्चिम अने उदरम्भरि पं ४२७ पेटभरो, एकलपटो
उत्तर दिशानो देश उदरिक पुं ४५० (शि. ३२) मोटा पेटवाळो | 'उदीच्य' न. ११५८ सुगंधी वाळो उदरिणी स्त्री ५३८ सगर्भा स्त्री, गर्भिणी स्त्री | उदीर्ण पुं ३६७ उदार, महात्मा उदरिन् पुं ४५० मोटा पेटवाळो उदुम्बर पुं १००९ घरनो उंबरो उदरिल पुं ४५० मोटा पेटवाळो उदुम्बर न. १०३९ तांबु उदर्क पुं १६२ पछी मळे तेवू फळ, उदुम्बर पुं. ११३२ उंबरा, झाड
भविष्यफळ उदुखल न. १०१६ खांडणी, खांडणीयु उदर्चिष् न. ११०० अग्नि .
उद्गत न. १४९५ वमन करेल अन्न वगेरे । उदवसित न. ९९० घर .
उद्गमनीय न. ६६८ धोयेलुं वस्त्र, उदश्वित् न. ४०९ अर्ध पाणीवाळु दहीं .
धोयेला वस्त्रनो जोड़ो उदस्त न. १४८२ (शि. १३३) ऊंचे फेकेलुं| उगाढ न. १५०५ अतिशय, घj उदात्त पुं ३६७ उदार, महात्मा : उद्गातृ पुं ८१९ सामवेदने जाणनार, सामवेदनुं उदान पुं ११०९ उदान वायु, हृदय अने |
गान करनार ऋत्विज माथा वच्चेनो पवन | उद्घ पुं. ६२३ (शे. १२८) मांस उदार पुं ३६७ उदार, महात्मा | उद्घन पुं ९१९ नीचे- लाकडं (जे लाकडा उदार पुं ३७६ सरळ चित्तवाळो, उदार | उपर लाकडु मूकी घडाय ते) उदार पुं ३८५ दातार, उदार उद्घाटक न. १०९३ रेंट उदारथि पुं २१९ (शे.. ६५) विष्णु, नारायण | उद्घाटन न. १०९३ (शि. ९८) रेंट उदावर्त पुं ४६९ मळ मूत्र वगेरे रोकवाथी | उद्घात पुं १५१० (शि. १३६) ज्ञानपूर्वक थतो रोग, आफरो
आरंभ, शरुआत