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. शब्दमाला . ४१ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ आश्वीन पुं १२५० एक दिवसमां घोडो जइ | आसीन पुं ४९२ बेठेलो
शके तेटलो मार्ग | आसुति स्त्री ९०५ मदिरा बनाववानी क्रिया आषाढ पुं १५४ अषाढ मास
आसुतीबल पुं ८१८ सोमरस काढी आषाढ पुं ८१५ व्रतमां खाखरानो दंड
यज्ञ करनार आषाढ पुं १०२९ मलयाचल पर्वत आसुतीबल पुं९०१ कलाल, मदिरा वेचनार आषाढाभू पुं ११७ मंगलग्रह
आसुर न ६२१ लोही आस पुं न. ७७५ धनुष्य
| आसेचनक न. १४४३ जेने जोवाथी आंख आसक्त पुं ३८५ तत्पर
तृप्त न थाय तेवं दृश्य आसन पुं ९ (प.) आ शब्द वाह्य वाचक | आस्कन्दन न. ७९७ युद्ध, लडाई शब्दने लगाडवाथी वाहक वाचक शब्द बने छ | आस्कन्दित न. १२४९ घोडा- क्रोधथी आसन न. ८२ आसन, पद्मासन वगेरे
चारे पग ठेकीने जर्बु ते (योगनुं त्रीजु अंग) आस्तर पुं६८० हाथी के रथ उपर नाखवानुं आसन पुं. न. ६८४ आसन, काष्ठासन
वस्त्र, झूल आसन न. ७३५ लडाई वगेरेनी निवृत्ति, / आस्तरण न. ६८० (शि. ५६) हाथी के रथ किल्लामां भराई रहेवूते, राज्योपकारी चोथो गुण . उपर नाखवानुं वस्त्र, झुल आसन न. १२२४ हाथीनो स्कन्ध आस्तिक पुं ४९० आस्तिक, श्रद्धावाळो 'आसन' न. ११४४ असनवृक्ष, जीवंक | | आस्था स्त्री २७८ स्वीकार आसना स्त्री १४९८ स्थिति, स्थान आस्था स्त्री ४८१ सभा आसन्द पुं २९९ (शे. ७६) विष्णु, नारायण | आस्था स्त्री १४९८ स्थान, स्थिति आसन्दी स्त्री ६८४ खुरशी वगेरे आस्थान न स्त्री ४८१ सभा आसन्न न. १४५१ समीप, बाजुमां आस्थानगृह न. ९९७ सभागृह आसव पुं ९०४ मीरा देशनी मदिरा, . | | (आस्थानी) स्त्री ४८१ सभा
शेरडी वगेरेनो दारु आस्पद न. ९८८ स्थान । आसव पुं ९०५ मदिरा बनाववानी क्रिया | आस्फोटनी स्त्री ९०९ मोती वगेरे आसादित न. १४९० मेळवेलुं .
वींधवानुं शस्त्र आसार पुं १६५ वेगवाळो वरसाद 'आस्फोटा' स्त्री ११५६ गरणी, आसार पुं ७९० मित्रनुं बळ .
एक जातनी वनस्पति