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अभिधानचिन्तामणिनाममाला • १८ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ अभ्यान्त पुं ४५९ रोगी
अमत्र न. १०२६ वासण अभ्यामर्द पुं ७९८ लडाइ
अमम पुं ५५ भावि १२मा तीर्थंकर अभ्याश न. १४५० पासे
अमर पुं ८७ देवता अभ्यास पुं ७८८ शस्त्रकळानो अभ्यास अमरावती स्त्री १७८ इन्द्रपुरी 'अभ्यास' पुं १४५० समीप, निकट | अमर्त्य पुं ८८ देवता अभ्यासादन न. ८०० धाड ।
अमर्त्यनिकायकोटि स्त्री ६३ भगवाननो अभ्युत्थान न. ५०१ उभा थई ३३मो अतिशय, क्रोड देवो सेवा करे ते
सत्कार करवो ते अमर्मवेधिता स्त्री ६९ बीजाना मर्मने प्रगट न अभ्युदित पुं ८६० सूर्योदय पछी उठनार, करनारी वाणी, तीर्थंकरनी वाणीनो एक गुण ब्राह्मण
अमर्ष पुं ३२० प्रतिकारनी इच्छावाळो क्रोध अभ्युपगत न. १४८९ स्वीकार करेलु | अमर्षण पुं ३९२ क्रोधी अभ्युपगम पुं २७८ स्वीकार (अमल) (टी) न. १०५१ अबरख अभ्युपपत्ति स्त्री १५०८ स्वीकार, महेरबानी | अमा स्त्री १५० अमास अभ्युपाय पुं २७८ अंगीकार | अमा अ. १५२७ साथे अभ्यूष पुं ३९९ घीमां तळेली पुरी वगेरे | अमांस पुं ४४९ दुर्बळ अभ्योष पुं ३९९ घीमां तळेली पुरी वगेरे | अमात्य पुं ७१४ मंत्री, राज्यना ७ अंगो अभ्र न. १६३ आकाश
. पैकी बीजं अंग अभ्र न. १६४ वादळ
अमात्य पुं७१९ प्रधाम, राजाने सलाह आपनार अभ्रक न. १०५१ अबरख
'अमानस्य' न. १३७१ दुःख, पीडा अभ्रपथ पुं १६३ आकाश
अमावसी स्त्री १५० अमास अभ्रपिशाच पुं १२१ (शि. ११) राहु अमावस्या स्त्री १५० अमास 'अभ्रपुष्य' पुं ११३७ नेतर
अमावासी स्त्री १५१ अमास अभ्रमातङ्ग पुं १७७ ऐरावण हाथी अमावास्या स्त्री १५१ अमास अभ्रमुप्रिय पुं १७७ ऐरावण हाथी अमित्र पुं ७२९ शत्रु ( अभ्ररूप) पुं १७७ ऐरावण हाथी | अमुक्त न. ७७४ हाथमां राखीने वापरी अभ्रि स्त्री ८७८ लाकडानी कोदाळी । • शकाय तेवू शस्त्र छरी वगेरे अभ्रेष पुं ७४३ न्याय
। अमुत्र अ. १५२८ परलोक