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________________ .शब्दमाला . ३६९ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ · शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ हुलमातृका स्त्री ७८४ (शे. १४८) लांबी | प्लस पुं ४६८ हेडकी __छरी, छरो लेख पुं ३१४ उत्कंठा हुलाग्रका स्त्री ७८७ (शे. १५१) चिरिका | खीक न. १३८३ इन्द्रिय नाम, शस्त्र हषीकेश पुं २१४ विष्णु, कृष्ण इति पुं २६१ बोलाववं ते हमानस पुं ४३५ आनंदी हूस्ख पुं १२९० शियाळ हे अ. १५३७ संबोधन माटे वपरातो शब्द (हहू) पुं १८३ गन्धर्व । हेका स्त्री ४६८ हेडकी (इच्छय) पुं २२७ कामदेव हेति स्त्री ७७३ शस्त्र हकर पुं २०० (शे. ४८) शंकर हेति स्त्री ११०२ अग्निनी ज्वाळा, झाळ द् न. ६०३ हृदय हेतु पुं. १५१३ कारण हद् न. ६२३ हृदयनी अंतरनो कमळना (हेम) न. पुं १०४३ सोनुं . . . आकारनो मांसपिंड हेमकन्दल पुं १०६६ परवाळा द् न. १३६९ मन, चित्त हेमतार न. १०५२ मोरथुथु हृद्वक्त्रावर्तिन् पुं १२३६ हृदय, मुख उपर | हेमदुग्धक पुं ११३२ उंबरानुं झाड प्रशस्त आवर्तवाळो घोडो | हेमन् न. १०४३ सोनुं हृदय न. ६०३ हृदय, अंतःकरण | हेमन्त पुं १५६ हेमन्तऋतु । हृदय न. ६२३ हृदयनी अंदरनो कमलाकार | हेमपुष्पक पुं ११४६ पीळोचंपो मांसपिंड | हेमपुष्पिका स्त्री ११४८ पीळा हृदय न. १३६९ चित्त, मन पुष्पवाळी जुई हृदयङ्गम न. २६८ युक्तिवाळु वचन ।'हेमवती' स्त्री ११४६ हरडे हृदयङ्गमता स्त्री ६७ प्रभुवाणीनो १३मो | हेमाध्यक्ष पुं७२३ (शे. २६) सुवर्ण उपरनो . गुण, मनने हरनारी वाणी __ अधिकारी हृदयस्थान न. ६०२ छाती हेरम्ब पुं २०७ गणेश, गणपति हृदयालु पुं ३४५ परिपक्व ज्ञानवाळो हेरम्ब पुं १२८३ (शे. १८४) पाडो (हृदयेश) पुं ५१६ पति | हेरिक पुं ७३३ गुप्तचर हृदयेशा स्त्री ५१६ पत्नी ..' | हेला स्त्री ५०९ स्त्रीशरीरना विकार विशेष हा न. १४४५ सुंदर । हेलि पुं ९६ सूर्य
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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