________________
अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३७० . । शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द./ लिंग / श्लोक / अर्थ हेलि पुं ५१८ (शे. १०९) वरनो महोत्सव | होमाग्नि पुं. ८३६ 'होम माटेनो अग्नि हेषा स्त्री १४०५ घोडानो अवाज ह्यस् न. १५४१ गई काले हेषिन् पुं १२३३ (शे. १७८) घोडो हद पुं १०९१ उंडो द्रह है अ. १५३७ संबोधन माटे वपरातो शब्द | हदिनी स्त्री १०८० नदी हैमवत पुं ११९७ विष
| ह्रस्व न. १४२७ टुंकुं, नीचुं (हैमवत) पुं९४६ पांच हैमवत क्षेत्र .. हस्व न. १४२९ टुंकुं, नीचुं . हैमवती स्त्री १०८२ गंगा नदी . ह्स्व पुं ४५४ (शे. १०६) ठीगणो हेमवती स्त्री २०५ (शे..६१) पार्वती | हाद न. १३९९ शब्द हैयङ्गवीन न. ४०७ माखण (गईकालेदोहेली - हादिनी स्त्री १८० इन्द्रवज्र
___गायना दुधनुं घी) | हादिनी स्त्री ११०५ वीजळी (हैरण्यवत् ) पुं ९४६ पांच हैरण्यवत क्षेत्र | हादिनी स्त्री १०८० (शि. ९६) नदी हैरिक पुं ७२३ (शि. ६२) सुवर्ण हादिनी' स्त्री ११५२ शरु, शालेडू
उपरनो अधिकारी ही स्त्री ३११ लज्जा हैहय पुं.७०२ कार्तवीर्य
हीकु पुं १३०१ बिलाडी होत पुं ८१९ ऋग्वेद जाणनार हीण पुं १४८४ लज्जा पामेलु होत्र न. ८२१ होम
हीत पुं १४८४ लज्जा पामेलु होत्रीय न. ९९६ होम माटेनी वस्तुओ हीबेर न. ११५८ सुगंधीवाळो, खस, राखवानी जग्या
विरणवाळो, वनस्पतिविशेष होम पुं ८२१ होम, देवयज्ञ
हेषा स्त्री १४०५ घोडानो अवाज होमकुण्ड न. ८३३ होम करवानो कुंड | हलाद न. ३१६ आनंद, हर्ष होमधूम पुं ८३७ होमनो धुमाडो | 'हादिनी' स्त्री ११५२ शरु, शालेडु होमभस्म पुं ८३७ होमनी राख