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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३६२
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोकः/ अर्थ स्वच्छन्द पुं ३५५ स्वतन्त्र, स्वच्छंदी | स्वर् अ. १५२५ स्वर्ग स्वच्छपत्र पुं १०५१ अबरख
स्वर पुं १३९९ शब्द, अवाज स्वजन पुं ५६१ स्वजन
स्वरभेद पुं ३०६ अव्यक्त स्वर स्वजातिद्विष् पुं १२८० (शे. १८२) कूतरो | स्वरापगा स्त्री १०८२ गंगा नदी स्वतन्त्र पुं ३५५ स्वतन्त्र, स्वच्छंदी स्वरु पुं १८० इन्द्रनुं वज्र - स्वदन न. ४२३ आहार, भोजन स्व रुचि पुं ३५५ स्वतन्त्र, स्वच्छंदी स्वधा स्त्री १५३८ पितृयज्ञमां वपरातो शब्द | स्वरूप न. १३७६ स्वभाव, स्वरूप स्वधाभुज् पुं ८८ देव
| स्वर्ग पुं ८७ देवलोक, स्वर्ग । (स्वधाशन) पुं ८८ देव . .. | स्वर्गपति पुं १७३ इन्द्र स्वधिति पुं ७८६ कुहाडो
स्वर्गसद् पुं ८७ देव .. स्वन पुं १३९९ शब्द
(स्वर्गस्त्री) स्त्री १८३ अप्सरा स्वनि पुं १४०० शब्द
| स्वगिरि पुं १०३२ मेरुपर्वत स्वनि स्त्री ११०० (शे. १७१) अग्नि (स्वर्गिन्) पुं ८८ देव स्वनित न. १४०६ मेघगर्जना ... | स्वगिरि पुं १०३२ मेरुपर्वत स्वजज पुं ४४२ उंघणसी . स्वर्गिवधू स्त्री १८३ अप्सरा 'स्वभाजन' न. ७३१ मित्रादिने स्वर्यापगा स्त्री १०८२ गंगा नदी
आलिंगनादिथी आनंद उपजाववो | स्वर्जि स्त्री ९४५ साजी स्वभाव पुं १३७६ स्वभाव, स्वरूप | स्वर्जिका स्त्री ९४५ साजी स्वभू पुं २१६ विष्णु
| स्वजिकाक्षार पुं ९४५ साजीखार स्वमुखभू पुं २३९ (शे. ८०) गरुडपक्षी | स्वर्ण पुं न. १०४३ सोनुं स्वयम् अ. १५४२ (शे. २०२) पोते (स्वर्ण) न. १०६३ रत्ननी जाति स्वयंवरा स्त्री ५११ पोते ज पतिने पसंद करनारी स्त्री | स्वर्णकाय पुं २३१ गरुडपक्षी स्वयम्प्रभ पुं ५४ आवती चोवीशीना चोथा | स्वर्णकार पुं ९०८ सोनी तीर्थंकर
स्वर्णज न. १०४२ कलई, सीसुं स्वयंभू पुं २४ अरिहंत
| स्वर्णारि पु १०४१ सीसुं स्वयंभू पुं २११ ब्रह्मा
| स्वर्भाणु पुं १२१ राहु स्वयंभू पुं ६९५ त्रीजा वासुदेव । स्वर्वधू स्त्री (ब.व.) १८३ अप्सरा
साय