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अभिधानचिन्तामणिनाममाला • ३३४
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ
सङ्कसुक पुं ४३७ अस्थिर, चपळ, अनित्य सङ्काश पुं १४६२ समान, तुल्य सङ्कीर्ण न. १४७२ खीचोखीच, सांकडुं सङ्कुचित न. ११२९ बिडायेलुं (पुष्प) सङ्कुल न. २६५ पूर्वापर विरुद्ध वचन सङ्कुल न. १४७२ खीचोखीच, सांकडु,
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ सगुप्त पुं २३४ बुद्ध, सुगत गूढ पुं १४८५ सरवाळो करेल संग्रह पुं २५७ अर्थ विशेषनो संग्रह संग्रह पुं १४३२ संक्षेप, टुंकाववुं ते संग्राम पुं ७९६ युद्ध सङ्ग्राह पुं ५९७ मूठी सङ्ग्राह पुं ७८४ ढालनी मूठ सङ्घ पुं १४१२ समुदाय सङ्घचारिन् पुं १३४४ मच्छ, माछलुं सङ्घजीविन् पुं ४८० समुदाय साधे रही आजीविका चलावनार
सङ्घर्ष पुं १५१५ (शि. १३६ ) हरिफाई, परस्पर घर्षण
व्याप्त •
सङ्कोच न. ६४५ ( शि. ५१) केशर सङ्कोचपिशुन न. ६४५ केशर संक्रन्दन पुं १७१ इन्द्र संक्रम पुं न. १५१७ विकटमार्ग संक्राम पुं न. १५१७ विकटमार्ग संक्षेप पुं १४३२ टुंकाववुं टुंकाण सङ्ख्य न. पुं ७९६ युद्ध
सङ्घात पुं १४११ समूह
सङ्ख्या स्त्री ८७२ एक, बे, त्रण आदि सचिव पुं ७१९ अमात्य, मन्त्री संख्या सङ्ख्या स्त्री १३७३ चर्चा, विचारणा सङ्ख्यावत् पुं ३४२ विद्वान, पंडित सङ्ख्येय न. ८७२ गणी शकाय तेवुं सङ्गपुं १५०८ संयोग, मळवं सङ्गत न. २६८ युक्तिवाळु वचन सङ्गत न. ७३१ मित्रता, दोस्ती सङ्गम पुं न. १५०८ संयोग, मळवं सङ्गर पुं २७८ स्वीकार, प्रतिज्ञा
सङ्गर पुं ७९८ युद्ध
सङ्गीत न. २७९ गीत, नृत्य
सञ्जवन न. ९९२ चोकवाळु घर
सङ्गणन. १४८९ स्वीकारेलुं, प्रतिज्ञा करेल सञ्ज्ञ पुं ४५६ जोडायेला ढींचणवाळो
सज्ज पुं ७६६ बख्तर पहेरेलो, तैयार सज्जन पुं ३७९ सारो माणस सज्जन न. ७४९ युद्ध माटे सैन्यनी स्थापना सज्जित पुं १२२१ युद्ध माटे
तैयार करेलो हाथी सञ्चय पुं १४१२ समुदाय, ढगलो सञ्चर पुं ५६३ शरीर सञ्चारिका स्त्री ५२१ दूती, कुटणी स्त्री सञ्चारिन् पुं २९५ श्रृंगारादि रसने अनुकूल एक भाव, व्यभिचारी भाव