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-शब्दमाला
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ संस्कार पुं १३७३ पूर्वना संस्कार, वासना संस्कारवर्जित पुं ८५४ संस्कारहीन ब्राह्मण संस्कारवत्त्व न. ६५ संस्कृतादि लक्षणवाळी प्रभुनी वाणीनो ३५ पैकी पहेलो गुण संस्कृत पुं ३४५ शास्त्रादि तत्वोनो संस्कारी (संस्कृत) न. २८५ संस्कृत भाषा संस्तर पुं ६८२ पांदडा वगेरेनी शय्या संस्तर पुं ८२० यज्ञ संस्तव पुं १५१३ परिचय, ओळखाण संस्त्याय पुं ९९१ घर
संस्था स्त्री ३२३ मृत्यु संस्था स्त्री ७४४ मर्यादा,
न्यायमार्गमां रहेवुं ते संस्थान न. ९८६ चोक, चार रस्ता एकठा थाय ते स्थान
संस्थान न. १५१६ आकार,
अवयवोनी रचना संस्थित पुं ३७३ मरेलो, मृत्यु थयेल संस्फेट पुं ७९९ (शि. ७०) युद्ध, लडाई संस्फोट पुं ७९६ युद्ध, लडाईसंहत न. १४७२ मजबूत बांधो, दृढ संघयण संहतल पुं ५९६ ( शि. ४७ ) डाबा अने जमणा बने हाथनी हथेळी भेगी करवी ते संहति स्त्री १४११ समूह, समुदाय संहनन न. ५६३ शरीर संहर्ष पुं १५१५ हरिफाई, स्पर्धा संहार पुं १६१ प्रलयकाळ, क्षय
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ संहूति स्त्री २६१ घणाए करेलो पोकार सकल न. १४३३ समस्त, बधुं सकृत्प्रज पुं १३२१ कागडो सक्तु पुं न. ४०१ धाणीनुं चूर्ण, साथवो सक्तुक पुं १९९८ वनस्पतिजन्य स्थावर विष सविथ न. ६१३ साथळ
सखि पुं ९ (प.) मित्रवाचक शब्द बनावनार शब्द दा.त. वायुसुख
सखि पुं ७३० मित्रसखी स्त्री ५२९ साहेली, सहचरी सख्य न. ७३० मित्राचारी, दोस्ती सगर न. ६९२ बीजा चक्रवर्ती सगर्भ पुं ५५१ सगो भाई सगर्थ्य पुं ५५१ (शि. ४४ ) सगो भाई सगोत्र पुं ५६१ स्वजन, एक गोत्रनो कुटुंबी सग्धि स्त्री ४२५ साथे जमवुं ते सङ्कट पुं १५०४ गीरदी, सांकडुं सङ्कथा स्त्री० . २७५ परस्पर न्यायपूर्वक वात करवी
सङ्कर पुं १०१६ कचरो, पूंजो सङ्कर्षण पुं २२४ बळदेव सङ्कलित पुं १४८५ सरवाळो,
संग्रह करेल
सङ्कल्प पुं २२९ कामनी योनि, उत्पत्ति सङ्कल्प पुं १३७० मननो व्यापार, निश्चय, प्रतिज्ञा
( सङ्कल्पयोनि) पुं २२९ कामदेव