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________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला. .३३२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ संरम्भ पुं १४९९ अहंकार, आडंबर, | संवीत न. १४७६ ढंकायेखें, आच्छादित भूतनो आवेश | संवृत न. १४७६ ढंकायेखें, संराव पुं १४०० शब्द, ध्वनि - आच्छादित थयेल संलय पुं ३१३ निद्रा, ऊंघ, तन्द्रा संवृत पुं १८८ (शे. ३९) वरुणदेवता, संलाप पुं २७५ परस्पर न्यायपूर्वक वात जलदेवता करवी ते | संवेग पुं ३२२ शीघ्रता, उतावळ संवत् अ. १५३५ वरस . संवेश पुं ३१३ निद्रा, तंद्रा, ऊंघ संवत् स्त्री १५९ (शे. २६) वरस | संवेशन न. ५३७ मैथुन, कामक्रीडा संवत्सर पुं १५९ वरस | संव्यान न. ६७१ ओढवानुं वस्त्र, संवनन न. १४९८ वशीकरण उत्तरीय वस्त्र संवर पुं ३६ श्री अभिनन्दन स्वामीना पिता | संशप्तक ७९५ युद्धथी पाछो नहि फरनार संवर पुं ५५ आवती चोवीशीना . . संशय पुं १३७५ संदेह, संशय अढारमा तीर्थंकर संशयानामसम्भव पुं ६६ संदेह विनानी, संवर पुं ९६५ सेतु, पुल, बंध, पाळ प्रभुनी वाणीनो ११मो गुण संवर न. १०६९ पाणी संशयालु पुं ४४५ संशयवाळो, शंकाशील 'संवर' पुं १२९३ एक प्रकारच् हरण . | संशयितृ पुं ४४५ संशयवाळो, शंकाशील संवर्त पुं १६१ प्रलयकाळ क्षय संशित न. १४९१ सारी रीते निश्चित संवर्तक न. २२५ बळदेव- हळ - करायेलं संवर्तक पुं ११०० वडवानल, संश्रव पुं २७८ स्वीकार, अंगीकार समुद्रमां थतो अग्नि संश्रुत न. १४८९ स्वीकारेलु संवर्तिका स्त्री ११६६ कमल वगेरेनुं | संश्लेष पुं १५०७ आलिंगन करवू ते नवू पांदडं संसक्त न. १४५१ साथे लागेलं, आंतरारहित संवसथ पुं ९६१ गाम संसक्त न. १४७१ निरंतर, नित्य, कायम संवाहक पुं ४९२ अंग मर्दन करनार संसद् स्त्री ४८१ सभा संविद् स्त्री २७८ अंगीकार, स्वीकार संसरण न. ९८७ राजमार्ग संवित्ति स्त्री ३०९ ढंकायेखें, (संसारिन्) पुं १३६६ संसारी जीव . आच्छादित थयेल संसिद्धि स्त्री १३७७ स्वरूप, स्वभाव
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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