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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३३० । शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द/लिंग / श्लोक / अर्थ
प्रेयस न. ८६ कल्याण, शुभ वासहति स्त्री ३१३ निद्रा, ऊंघ भजीविका स्त्री ८६६ सेवा, चाकरी चित्र न. ४६६ धोळो कोढ रोग परंष्ट्रा स्त्री. ११५६ गोखरु
शेत न. ४०९ सरखा भागना अवयित न. ६२६ हाडकुं
पाणी वाळू दहीं अन् पुं १२८० कूतरो
वेत न. १०४३ रू'. अपच पुं ९३३ चांडाल
वेत पुं १३९२ सफेद पत्र न. १३६४ भूमिनो खाडो. शेत पुं १२०६ (शे. १७४) कोडी 'ग' न. १३६४ बिल, छिद्र, बाकोरु |(वेत) न. ४६६ धोळो कोढ रोग अययु पुं ४६८ सोजो
चैतकोलक पुं १३४६ सहरी, सफेद मच्छ धशुर पुं ५५९ पत्नी के पतिना पिता, ससरो | श्वेतगज पुं १७७ इन्द्रनो ऐरावण हाथी असुर पुं ५६० सासु ससरो बने 'शेतगरुत्' पुं १३२५ हंस अभ्र स्त्री ५५९ पति के पत्नीनी माता, सासु तद्युति पुं १०५ चन्द्रमा अयशुर पुं ५६० सासु ससरो बंने (वेतपत्रस्थ) पुं २१२ ब्रह्मा अस् अ. १५४१ आवतो दिवस, शेतपिङ्ग पुं १२८५ सिंह ___ आवती काल
शेतमरिच पुं ११३४ सफेद सरगवो अस् अ. १५४२ (शे. २०२) आवतीकाले, तरक्त पुं. १३९५ गुलाबी रंग
____परम दिवसे (श्वेतरस) न. ४०९ सरखा भागना असन पुं ११०६ वायु
पाणीवाळू दहीं श्वसित न. १३६८ श्वास, श्वास लेवानी किया श्वेतरूप्य न. १०४२ (शे. १६१) कलई, चान पुं १२७९ कूतरो
सीसुं वापद पुं १२१६ हिंसक पशु . श्वेतवाजिन् पुं १०४ चन्द्रमा भाविध स्त्री १२९६ शाहुडी।
वेतवाहन पुं १०५ (शे. ११) चन्द्रमा वास पुं ५७ कमळ जेवो सुगंधी श्वास होय | श्वेतसर्षप पुं ११८० धोळो सरसव
ते तीर्थकरनो ३४ पैकी बीजो अतिशय | श्वेतहय पुं ७०९ अर्जुन वास पुं १३६८ श्वास
| (श्वेताच) पुं १०४ चन्द्रमा श्वासप्रश्वासरोधन न. ८३ प्राणायाम, प्राणोने | वोवसीयस न. ८६ कल्याण, शुभ, भावी रोकवानी किया, ८ पैकी योगर्नु ४y अंग | ' काळे थनार मंगल