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________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला • ३२४ । शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द/ लिंग / श्लोक / अर्थ शुन पुं १२७९ कूतरो शुष्मन् न. ७९६ पराक्रम शुनासीर पुं १७२ इन्द्र शुष्मन् पुं ११०० (शि. ९९) अग्नि शुनि पुं १२७९ कूतरो शूक पुं न. ३६९ दया, अनुकंपा शुनी स्त्री १२८१ कूतरी शूकधान्य न. ११८१ जव, घउं वगेरे धान्य शुन्य न. १४४६ शून्य, खाली शूकर पुं ४७. श्री विमलनाथ भगवाननुं शुभ न. ८६ कल्याण, शुभ : लांछन, मूंड 'शुभ' पुं १२७५ बकरो . शूकल पुं १२३५ खराबं चालनो घोडो, शुभंयुस् पुं ४३३ मांगलिक, शुभशाली दुर्विनीत घोडो शुभसंयुक्त पुं ४३३ मांगलिक, शुभशाली |"शूकशिम्बा' स्त्री ११५१ कौवच शुभ्रांशु पुं १०५ (शे. ११) चन्द्र |'शूकशिम्बि' स्त्री ११५१ कौवच शुभ्र पुं १३९३ सफेद (शूका) स्त्री ३११ लाज, शरम शुभ्र न. १०४३ (शे. १६२) रूपुं . शूद्र पुं८०७ शूद्र, ४ वर्ण पैकी चोथो वर्ण शुम्ब न. स्त्री ९२८ दोरी शूद्र पुं ८९४ शूद्र शुम्भमथनी स्त्री २०५ पार्वती | शूद्रा स्त्री ५२४ शूद्रजातिमां उत्पन्न थयेली शुल्क पुं न. ७२४ जकात स्त्री शुल्काध्यक्ष पुं ७२४ जकात उपर निमायेल | शूद्री स्त्री ५२३ शूद्रनी स्त्री __ अधिकारी शून्य न १४४६ शून्य, खाली शुल्व न. ९२८ दोरी शून्यवादिन् पुं ८६१ बौद्ध शुल्व न. १०३९ तांबु शूर पुं ३६५ सुभट शुल्वारि पुं १०५७ गन्धक (शूर) पुं ९६ सूर्य शुश्रूषा स्त्री ३१० सांभळवानी इच्छा | शूरदेव पुं ५३ आवती चोवीशीना बीजा शुश्रूषा स्त्री ४९७ सेवा, भक्ति । तीर्थंकर शषि पुं स्त्री १३६३ छिद्र, बिल | शूर्प न. १०१८ सूपडं शुषिर न. २८७ वांसळी शंख वि. छिद्र वडे | शूर्पक पुं २२८ कामदेवनो शत्रु शब्द उत्पन्न थाय तेवं वाणित्र (शूर्पकारि) पुं २२८ कामदेव शुषिर न. १३६३ छिद्र, बिल शूल नं. पुं ७८७ त्रिशूल शुष्प न. ७९६ पराक्रम | शूलधरा स्त्री २०५ (शे. ५०) पार्वती
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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