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__. शब्दमाला . ३२१
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ • शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ 'शिम्बि' स्त्री ११३१ शींग, बीजनो कोश | शिलाजतु न. १०६२ शिलाजित शिम्बिक पुं ११७३ काळा मग शिलानीह पुं २३१ (शे. ८०) गरुड पक्षी शिरःपीठ न. ५८६ (शे. १२४) डोक अने | शिलासार न. पुं. १०३८ लोढुं
माथानी संधिनो पाछलो भाग शिली स्त्री १२०३ गंडोला शिरस् न. ५६६ मस्तक
शिलीमुख पुं ७७८ बाण (शिरस्) न. ११३१ शींग, बीजनो कोश शिलीमुख पुं १२१२ भमरो (शिरसिज) पुं ५६७ केश, वाळ शिलोच्चय पुं १०२७ पर्वत शिरस्क न. ७६८ माथानी पाघडी, टोप, शिलोद्भव न. १०४४ (शे. १६३) सोनुं
____ माथानुं बख्तर - शिल्प न. ९०० कळा, कारीगिरी .. शिरस्त्राण न. ७६८ माथानी पाघडी, टोप, | 'शिल्पशाला' स्त्री १००० सोनी वि. माथानुं बख्तर
कारीगरोनुं स्थान शिरस्य न. ५७० निर्मळ केश । | शिल्पा स्त्री १००० हजामतनुं स्थान (शिरा) स्त्री ६३१ नाडी
शिल्पिन् पुं ८९९ कारीगर शिरोगृह न. ९९५ अगासी, उपरनी मेडी | शिल्पिशाला स्त्री १००० सोनी वि. शिरोधरा स्त्री-५८६ डोक .
कारीगरोनुं स्थान शिरोधि स्त्री ५८६ डोक
शिव न. ७४ मोक्ष शिरोनामन् न. ११२१ टोच, वृक्षनो अग्रभाग | शिव न. ८६ कल्याण, शुभ शिरोमणि पुं ६५० मस्तक उपरनो मणि | शिव पुं १९७ शंकर . शिरोमर्मन् पुं १२८८ मुंड
शिव पुं २२७४ गायने बांधवानो खीलो (शिरोरत्न) न..६५० मस्तक उपरनो मणि | | शिवकर पुं५३ गई उत्स.ना २२मा तीर्थंकर शिल न. ८६५ धान्यनी मंजरी, शिंग वि. | शिवकान्ता स्त्री ८(प.) पार्वती
नुं ग्रहण करवू ते शिवकीर्तन पुं २१९ (शे. ७६) विष्णु, शिला स्त्री १००८ स्तंभ वगेरेनी नीचे |
नारायण . लाकडानो आधारभूत पत्थर, कुंभी | शिवगति पुं ५२ गइ उत्स.ना १४मा शिला स्त्री १०३६ पत्थर ... -
तीर्थंकर शिला स्त्री १०६० (शि. ९३) मणसील | शिवङ्कर पुं ४८९ कल्याण करनार . ... धातु
धातु | शिवङ्कर पुं ७८२ (शे. १४५) तलवार