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। अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ४ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ अग्रयान न. ८०० मोखरा, लश्कर | अङ्कुट पु. १००५ चावी अग्रायणीय न. २४७ बीजा पूर्व- नाम | अङ्कुर पुं. १११८ फणगो अग्रिम पु ५५१ (शि. ४४) मोटा भाई अङ्कुर न. १०७०(शे.१६४) पाणी अग्रिम न. १४३९ प्रधान
अङ्कुश पुं १२३० हाथीने वशमां लाववानुं 'अग्रिय' पुं १४३९ मुख्य
शस्त्र 'अग्रीय' पुं १४३९ मुख्य
अकुशा स्त्री ४५ श्री अनन्तनाथ भगवाननी (अग्रेगू) पुं ४९८ अग्रेसर
शासन देवी अग्रेदिधिषू पुं ५२५ पुनर्लग्न करेल अङ्कुर पुं. न १११८ फणगो
स्त्रीनो ब्राह्मण पति | अङ्कोल्लसार पुं ११९८ विष, झेर अग्रेसर पुं ४९८ आगळ चालनार (अक्य) पुं २९३ खोळामां राखी अग्रेसर न. १४३८ प्रधान
वगाडाय तेवू मृदंग अग्र्य न. १४३९ प्रधान
अङ्ग न. ५६३ शरीर अघ न. १३८१ पाप
अङ्ग न ५६६ शरीरावयव अघमर्षण न. ८४४ सर्व पापनो नाश | अङ्ग पु (ब.व.) ९५७ बिहार देश
करनार जाप | अङ्ग अ. १५३७ हे! संबोधनना अर्थमां अघ्या स्त्री १२६५ गाय ..
अङ्गज पुं २२७ कामदेव (अङ्क) पुं. ६ (प.) धार्यवाची शब्दथी | अङ्गज पुं. ५४२ पुत्र
लगाडातो शब्द | (अङ्गजा) स्त्री ५४२ पुत्री अङ्क पुं १०६ चिह्न
अङ्गण न १००४ (शि ८७) आंगणुं अङ्क पुं. २८४ नाट्य प्रबंधनो प्रकार अङ्गद न.पु. ६६२ बाजुबंध कडु अङ्क पुं ६०२ खोळो
अङ्गन न. १००४ आंगणुं अङ्क पुं २५७ ग्रन्थनो अवयव विशेष | अङ्गना स्त्री ५०५ सुन्दरी अङ्कति पुं ११०७ (शे. १७२) पवन अङ्गराज पुं ७११ कर्ण (अङ्कपालि) स्त्री १५०७ आलिंगन अङ्गमर्द पुं ४९२ अंगमर्दन करनार अङ्कपाली स्त्री १५०७ आलिंगन | अङ्गरक्षणी स्त्री ७६९ लोढानुं बख्तर अङ्किन् पुं २९३ खोळामां राखी वगाडाय | अङ्गराग , ६३५ विलेपन
तेवं मृदंग . अङ्गविक्षेप पुं.२८२ हावभावपूर्वक, नृत्य