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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . ३०८ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ : शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ वैजयन्त पुं २०९ (शे. ६३) कार्तिकेय, | वैध्यत पुं १८६ यमनो प्रतिहारी
शंकरनो पुत्र | वैनतेय पुं. २२१ गरुड पक्षी (वैजयन्त) पुं ९४ बीजें अनुत्तर विमान
(विष्णु- वाहन) वैजयन्तिक पुं ७६४ निशानवाळो, धजाने | वैनतेय पुं २३१ गरुड पक्षी .
धारण करनार । | (वैनतेय) पुं १०२ सूर्यनो सारथि (अरुण) वैजयन्ती स्त्री ७५० दंडमां नाखेली धजा | (वैनतेयवाहिन्) पुं २२१ विष्णु .. वैजयि पुं ६९२ त्रीजा (मधया) चक्रवर्ती | वैनयिक पुं ७५२ शाखाभ्यास माटेनो रथ वैज्ञानिक पुं ३४३ प्रवीण, होंशीयार | वैनीतक न. ७५९ शिबिका वगेरे वाहन वैडूर्य पुं १०६३ वैडुर्य मणि.
(मनुष्यो वडे लई जवाय तेवू) वैणव पुं ८१५ व्रतमां धारण करवा लायक | वैन्य पुं ७०० पृथुराजा . वांसनो दंड
| वैपरीत्य न. १५०१ विपरीत, उल्टुं वैणव न. १०४४ (शे. १६४) सोनुं (वैमनस्य) न. १३७१ दुःख, पीडा वैणविक पुं ९२५ वांसळी वगाडनार वैमात्रेय पुं ५४६ ओरमान भाई वैणिक पुं ९२४ वीणा वगाडनार | वैमानिक पुं ९२ बार देवलोकना देव 'वैणुक' न. १२३० वांसनो परोणो | (वैमानिक) पुं ८९ देव वैतंसिक पुं ९३० कसाई, खाटकी . | वैमेय पुं ८७० अदलो-बदलो करवो, साटुं वैतनिक पुं ३६१ चाकर
| . फेरफार करवो वैतरणी स्त्री १०८६ वैतरणी नदी (वैयाकरणनिकाय) पुं १४१३ व्याकरण वैतालिक पुं ७९४ स्तुति करनार बंदिजन
जाणनाराओनो समूह वैदेह पुं ८६८ वेपारी
| वैयाघ्र पुं ७५५ वाघना चामडाथी वैदेहक पुं ८९८ वैश्य पुरुष अने ब्राह्मणी
ढंकायेलो रथ स्त्रीथी उत्पन्न थयेल वैरन. ६० तीर्थंकर विचरे त्यारे १२५ योजन सुधी वैदेही स्त्री ४२१ पीपर
वैर-विरोध न होय ते तीर्थकरनो ९मो अतिशय वैदेही स्त्री ७०३ सीता
वैर न. ७३० विरोध वैद्य पुं ४७२ वैद्य, आयुर्वेदनो जाणनार | वैरङ्गिक पुं ४९० वैराग्यने योग्य 'वैद्यमातृ' स्त्री ११४० अरडुशी वैरनियोतन न. ८०४ वैरनो बदलो .. वैधेय पुं ३५२ मूर्ख, अज्ञानी । वैरप्रतिक्रिया स्त्री ८०४ वैरनो बदलो ।