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शब्दमाला • ३०१ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ विषम पुं १५ (प.) त्रण, पांच, सात वगेरे | विषाण (द्वि.व.) त्रि. १२२४ हाथीना बने विषम संख्यावाचक शब्द
दंतशूल, हाथीदांत 'विषमच्छद' पुं ११३३ सप्तपर्ण सात्विन | विषाण (द्वि.व.) त्रि. १२६४ बळदनुं शींगडुं
(वृक्ष) विषाणान्त पुं २०७ (शे. ६३) गणेश, विषमनेत्र पुं १६(प.) शंकर
विनायक (विषमनेत्र) पुं १९६ शंकर विषाद पुं ३१२ मननी पीडा, खेद, शोक विषमपलाश पुं १६ (प.) सप्तपर्ण, विषान्तक पुं १९७ शंकर
सात पुडानुं झाड | विषापह पुं २३१ (शे. ७९) गरुड पक्षी (विषमप्रार्थना) स्त्री ४३१ पारकुं धन हरण | विषुव पुं न. १४६ समान रात्रि अने दिवस करवानी इच्छा
__ होय तेवो काळ विषमशक्ति पुं १६ (प.) शंभु विषुवत् पुं न. १४६ समान रात्रि अने दिवस (विषमस्पृहा) स्त्री ४३१ पारकुं धन हरण
. होय तेवो काळ ___ करवानी इच्छा | विष्कम्भ पुं १०२३ रवैयो बांधवानो (विषमायुध) पुं २२७ कामदेव
खीलो, थांभलो वि. (विषमाश्व) पुं ९६ सूर्य
विष्किर पुं १३१६ पक्षी . विषमेश पुं १६ (प.) कामदेव विष्किर पुं १३२५ (शे. १९२) कुकडो "विषमेश' पुं २२९ कामदेव
| विष्टप पुं १३६५ लोक, जगत, दुनिया विषमोन्नत न. १४६८ उंचुं नीचुं विष्टर पुं न..६८४ आसन, काष्ठाशन विषय पुं ९४७ देश
विष्ट पुं न. ८३५ दर्भनी मूठी, विषय पुं १३८४ रूप, रस ।
दर्भ- एक आसन आदि पांच विषय | विष्टर पुं १११४ वृक्ष, झाड विषयग्राम पुं १४१४ विषयोनो समूह ! विष्टरश्रवस् पुं २१८ विष्णु, कृष्ण विषयिन् न. १३८३ चक्षु आदि इन्द्रिय विष्टि स्त्री १३५८ बलात्कारे (विषवैद्य) पुं ४७४ विषवैद्य, गारुडी .
नरकमां नाखवु ते विषसूचक पुं १३३९ चकोर पक्षी . | विछ स्त्री ६३४ विष्ठा, मळ विषाक्त पुं ७७९ झेरवाळ बाण | विष्णु पुं३७ श्री श्रेयांसनाथ भगवानना पिता विषाग्रज पुं.७८२ (शे. १४६) तलवार | विष्णुस्त्री ४० श्री श्रेयांसनाथ भगवाननी माता