SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दमाला शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ विपर्यय पुं १५०१ विपरीत, उल्टुं विप्रलम्भ पुं१५१९ ठगवं, खोटं कही भरमावq ते 'विपर्याय' पुं १५०१ विपरीत, उल्टुं । विप्रलाप पुं २७६ विरुद्ध बोलवू विपर्यास पुं १५०१ विपरीत, उल्टुं विप्रश्निक पुं ४८३ ज्योतिषी विपश्चित् पुं ३४२ विद्वान, पंडित विप्रिय न. ७४४ अपराध विपश्यिन् पुं २३६ पहेला बुद्ध . विपुष् न. १०८९ जलबिंदु विपाकसूत्र न. २४४ ११, अंग सूत्र | विप्लव पुं ८०३ उपद्रव, लूट विपादिका स्त्री ४६५ पगमां थयेल फोल्लो | विप्लुत पुं ४३४ द्यूतादिकनो व्यसनी ___अथवा चीरो . | विबन्ध पुं ४७१ बन्धकोश, आफरो, झाडो विपाश स्त्री १०८६ विपाशा नदी | . अने.पेशाबनुं रोकाण विपाशा स्त्री १०८६ विपाशा नदी विबुध पुं ८९ देव विपिन न. १११० जंगल, वन (विब्बोक) पुं ५०७ स्त्रीओना १० विपुल न. १४३० विशाळ, मोटुं स्वाभाविक अलंकार पैकी एक विपुलस्कन्ध पुं १०२ (शे. ११) अरुण, | विभव पुं १९१ धन सूर्यसारथि | विभा स्त्री १०० किरण विपुला स्त्री ९३८ पृथ्वी . विभाकर पुं ९७ सूर्य विप्र पुं ८१२ ब्राह्मण विभात न. १३९ सवार, प्रातःकाळ विप्रकार पुं ४४१ पराभव, तिरस्कार विभाव पुं ३२६ अलंकार शास्त्रमा कहेल (विप्रकुल) न. १४१३ समान आचारवाळा . . रसोद्दीपक आलंबनादि ब्राह्मणोनो समुदाय विभावरी स्त्री १४२ रात्रि विप्रकृत पुं ४४१ झांखो पडेलो | विभावसु पुं ११०० अग्नि विप्रकृष्ट न. १४५२ दूर विभावसु पुं ९८ सूर्य विप्रतिसार पुं १३७८ पश्चात्ताप, क्रोध । विभु पु ३५९ स्वामी, नायक . विप्रतीसारपुं १३७८ (शि. १२५) पश्चात्ताप, | विभूति स्त्री ३५७ संपत्ति, ऐश्वर्य क्रोध |विभूषा स्त्री १५१२ शोभा, कान्ति विप्रयोग पं १५११. वियोग, विरह . विभेदक पुं ११४५ (शि. १०३) बहेडा विप्रलब्ध पुं ४४२ ठगायेलो | विभ्रम पुं ५०८ स्त्रीओना १० स्वाभाविक विप्रलम्भ पुं. १५११ वियोग, विरह अलंकार पैकी एक
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy