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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २९६ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक./ अर्थ विधा स्त्री ३६२ पगार, मजूरी 'विनाह' पुं १०९५ कुवाना मुखनुं इंट वडे विधा स्त्री १४९७ कर्म, क्रिया
- चणेलुं ढांकणु विधातृ पुं ५(प.) जन्यवाचक शब्दने आ | विनिद्र न. ११२९ खीलेलं (पुष्प) शब्द लगाडवाथी जनकवाचक शब्द बने | विनिद्रत्व न. ३१९ जागवू ते छे, जेमके विश्व-विधाता
विनिमय पुं ८६९ फेरफार करवो, अदलो विधातृ पुं २१२ ब्रह्मा
- बदलो करवो विधातृ पुं २१९ (शे. ७१) विष्णु, कृष्ण | | विनियोग पुं १५२० फळ आपq ते विधि पुं २१२ ब्रह्मा . | विनीत पुं ४३१ विनयी, नम्र विधि पुं ८३९ कल्प. आचार . | विनेय पुं ७९ शिष्य, छात्रविधि पुं १३७९. भाग्य, नसीब विनोद पुं ५५६ (शे. ११७) क्रीडा, रमत विधि पुं १५२० आज्ञा, हुकम फरमाववो | विनोद पुं ९२६ (शि. ८१) कौतुक, तमासो विधु पुं १०५ चन्द्रमा
विन्दु पुं ३४९ जाणनार, ज्ञानी विधु पुं २१६ विष्णु, कृष्ण विन्ध्य पुं १०२९ विन्ध्याचल पर्वत विधुन्तुद पुं १२१ राहु ग्रह | विन्ध्यकूट पुं १२३ (शे. १७) अगस्त्यऋषि 'विधुनन' १५२२ हलावq | विन्ध्यनिलया स्त्री २०५ (शे. ५०) पार्वती विधुवन न. १५२२ हलाव, कांपवू | विन्ध्यवासिन् पुं ८५२ व्याडि मुनि विधूत न. १४७५ छोडी दीधेलं, तजेलुं |वित्र न. १४७५ विचारेलु "विधूनन' न. १५२२ हालवू, कंपq |वित्र न. १४९० (शि. १३५) मेळवेलुं विधेय पुं ४३२ शास्त्रना संस्कारवाळो विपक्ष पुं ७२९ शत्रु .. इन्द्रियजयी
विपञ्ची स्त्री २८७ वीणा । विनतासूनु पुं १०२ अरुण, सूर्यनो सारथी | विपण पुं ८७२ वेचाण विनयस्थ पुं ४३२ शास्त्रना संस्कारवाळो, | विपणि स्त्री ९८८ बजार इन्द्रियजयी
विपणि स्त्री १००२ हाट, दुकान विना अ. १५२७ विना, सिवाय, वगर । "विपणी' स्त्री १००२ दुकान विनायक पुं २०७ गणेश
विपत्ति स्त्री ४७८ आपत्ति, संकट विनायक पुं २३४ बुद्ध, सुगत . | विपथ नं. ९८४ कुमार्ग, खराब रस्तो (विनाश) पुं ७३८ धननो नाश | विपद् स्त्री ४७८ आपत्ति, संकट