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। अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २९० . । शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ वल्ली स्त्री १११८ वेलो . (वसिष्ठ) पुं १२४ सप्तर्षि पैकी एक ऋषि, 'वल्लुर' त्रि ६२४ शुष्क मांस
वसिष्ठ ऋषि वल्लूर त्रि. ६२४ शुष्क मांस . वसु पुं १०० किरण वल्वजा पुं ११९४ एक जात, कोमल घास | वसु न. १९१ धन . वश पुं ४३० इच्छा
| वसु न. १०४३ सोनुं वश ३५६ (शे. ९३) परवश, पराधीन वसु न. १०६३ रत्न . वशक्रिया स्त्री १४९८ वशीकरण वसु पुं १०९९ अग्नि : . वशा स्त्री ५०४ स्त्री, नारी
| वसु पु १११४ वृक्ष, झाड वशा स्त्री १२१८ हाथणी ..
वसु पुं ११७२ पीळा मग . वशा स्त्री १२६६ वांझणी गाय | वसु पुं ८९ (शे. ५) गणदेवता वशिक न. १४४६ शून्य, खाली | वसु न. ९४२ (शि. ८३) साबर मीढुं, वशिता स्त्री २०२ सर्वने वश करवानी
वरागडं मीठं शक्ति, आठ सिद्धि पैकी बीजी सिद्धि | वसु न. १०४३ (शे. १६२) रूपुं वशिर पुं ९४१ समुद्र, मीठं | वसुक न. ९४२ साबर मीढुं। वशिष्ठ पुं ८४९ वशिष्ठ ऋषि
वसुदेव पुं २२३ कृष्णना पिता (वशीकरण) न. १४९८ बीजाने वंश करे | वसुदेवता स्त्री ११४ धनिष्ठा नक्षत्र
तेवो मंत्र प्रयोग करवो ते | वसुदेवभू पुं ६९७ कृष्ण वासुदेव वश्य पुं ४३२ वश थयेलो
वसुधा स्त्री ९३५ पृथ्वी वषट् अ. १५३८ देवोने बलि आपवामां | वसुन्धरा स्त्री ९३५ पृथ्वी वपरातो शब्द
वसुपूज्यराज पुं ३७ श्री वासुपूज्य स्वामी वषट्कार पुं ८२१ देवयज्ञ, होम
- भगवानना पिता वसति स्त्री १४२ रात्रि
वसुप्रभा स्त्री १९१ (शे. ४१) कुबेरनी वसति स्त्री ९९१ घर
नगरी वसन न. ६६६ वस्त्र
वसुमती स्त्री ९३६ पृथ्वी वसन्त पुं न. १५६ वसन्त ऋतु | (वसुरुचि) पुं १८३ गन्धर्व, देवोना गवैया वसा स्त्री ६२४ चरबी
वसुसारा स्त्री १९.१ (शे. ४१) कुबेरनी वसिन् पुं १३५० जलनो बिलाडो
नगरी