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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २८८
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ वरुण पुं ४३ श्री मुनिसुव्रत स्वामी वर्णपरिस्तोम पुं ६८० (शि. ५५) हाथी
भगवानना शासनदेव . . उपर नाखवानुं वस्त्र, झूल वरुण पुं १६९ पश्चिम दिशानो स्वामी । वर्णा स्त्री ११७५ तुवेर वरुण पुं १८८ वरुण देवता
वर्णिन् पुं ८०८ ब्रह्मचारी वरुणपाशपुं१३५१ (शि. १२१) ग्राह - झुंड | वर्णिनी स्त्री ५०४ स्त्री, नारी वरूथ पुं न. ७५८ शस्त्रादिथी बचवा रथ | | वर्ण्य न. ६४५ (शि. ५१) केशर
उपरतुं लोडा- ढांकण | वर्तुल न. १४६७ गोळ वरूथिनी स्त्री ७४६ लश्कर
वर्तक न. १०५० एक जातनुं लोढुं वरेण्य न. १४३८ प्रधान, श्रेष्ठ वर्तन पुं ३८९ वर्तनार, स्थिर रहेनार वर्कर पुं ५५६. क्रीडा, रमत . (वर्तनी) स्त्री ९८३ मार्ग, रस्तो वर्कर पुं १२७६ युवान बकरो वर्तनी स्त्री ९८३ मार्ग, रास्तो वर्ग पुं १४१३ सजातीय वस्तु अने प्राणीओनो | वर्तलोह न. १०५० एक जात, लो, समुदाय जेमके - त्रिवर्ग, ब्राह्मण वर्ग वर्ति स्त्री ६३९ वाटेली वस्तुनो लेप वर्चस् न. १०१ सूर्यनो प्रकाश वर्ति स्त्री ६६७ वस्त्रनी दशीओ वर्चस् न. ६३४ विष्ठा, मळ
वर्तिष्णु वि. ३८९ वर्तनार, रहेवाना वर्चस्क पुं न. ६३४ विष्ठा, मल |
स्वभाववाळु वर्जन न. ३७२ हिंसा
| वर्त्मन् नं. ९८३ मार्ग वर्ण पुं ६४४ केसर
वर्द्धकि पुं ९१७ रथकार, सुथार वर्ण पुं६८० हाथी के रथ उपर नांखवानुं | वर्द्धमान पुं ३० श्री महावीर स्वामी वस्त्र, झूल
वर्धन न. ३७२ काप, वर्ण पुं १३९२ सफेद वगेरे रंग | वर्धनी स्त्री १०१६ सावरणी वर्णक न. ५१८ (शे. १०९) विलेपन, . | वर्धमान पुं १०२४ कोडीयुं, शकोरं
___ शरीरमां पीठी वगेरे लगाडवी ते | वर्धमान पुं २१९ (शे. ७०) विष्णु, शंकर वर्णज्येष्ठ पुं ८१२ ब्राह्मण
'वर्धमान' पुं ११५० एरंडो वर्णना स्त्री २६९ स्तुति, प्रशंसा, वखाण | वधं पुं न. १०४१ सीसु वर्णपदवाक्य विविक्तता स्त्री ७१ अक्षर पद | वर्मन् न. ७६६ बख्तर, कवच वाक्य छुवं-छूटय होय ते प्रभुनी वाणीनो ३३मो गुण | वर्मित पुं ७६६ बख्तर पहेरेलो