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.शब्दमाला . २८७ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ. |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ बयस्या स्त्री ५२९ सखी
वररुचि पुं ८५२ कात्यायन, वार्तिककार क्युन पुं १७४ (शे. ३३) इन्द्र वरला स्त्री १३२७ हंसली वरपुं ८(प.) पत्री वाचक शब्दथी आ शब्द | वरवर्णिनी स्त्री ४१८ हळदर जोडतां पतिवाचक शब्द बने छे. उदा. गौरीवर (वरवर्णिनी) स्त्री ५०७ विशिष्ट अंग अने र पुं ५१६ पति
चेष्टावाली स्त्री कर पुं न. १४३९ मुख्य, प्रधान, श्रेष्ठ वरवृद्ध पुं.२०० (शे. ४३) शंकर . वर पुं १५२३ वरदान
वरा स्त्री २०५ (शे. ४९) पार्वती वर पुं ६४५ (शे. १३३) केसर वराङ्ग न. ५६७ मस्तक वरक पुं ६७५ (शे. १३८) टाढ अने पवन | वराङ्ग न. ६०९ योनि, स्त्री- चिह्न
रोकवा माटेनुं वस्त्र, रजाई वि. |वराटक पुं ११६५ कमलना बीजनो डोडो वक्रतु पुं १७३ इन्द्र
|वराटक पुं १२०६ कोडी वस्टा स्त्री १३२७ हंसली
वराण पुं १७४ (शे. ३२) इन्द्र "घरटा स्त्री १२१५ भमराना जेवू चंचल डंख | वराणसी स्त्री ९७४ क.शी. मारतुं जीवडुं
वरारक न. १०६५ हीरो 'वरटी' स्त्री १२१५ भमराना जेवू चंचल | वरारोह पुं २१९ (शे. ६९) विष्णु
. डंख मारतुं जीव९ (वरारोहा) स्त्री ५०७ विशिष्ट प्रकारनी स्त्री वरण पुं ९८० कोट, वाड, किल्लो . . |वराशि पुं ६७२ जाडु वस्त्र वस्त्रा स्त्री ९१५ चामडानी दोरी, वाधर | वराह पुं १२८७ मुंड वरना स्त्री १२३२ हाथीनी केड उपर वराहकर्णक पुं ७८७ (शे. १५२) शस्त्र बांधवानी चामडानी दोरी
विशेष वरद पुं ४८० वरदान आपनार | वरिवस्या स्त्री ४९७ सेवा, भक्ति वरदा स्त्री २०५ (शे. ५१) पार्वती वरिषा स्त्री १५७ (शि. १२) वर्षाऋतु, वरद्रुम पुं६४० (शे. १३१) अगरु, अगर | |
श्रावण भादरवो मास वरनिमन्त्रणन. ५१८ (शे. १०९) वर निमंत्रण | वरिष्ठ न. १०४० त्रांबु वरप्रदा स्त्री १२३ अगस्त्य ऋषिनी पुत्री | वरिष्ठ न. १४३० विशाल, मोटुं वरयात्रा स्त्री ५१८ (शे. १०८) वरयात्रा | वरुट पुं ९३४ जंगलमां फरनारी वरयित पुं ५१७ वहालों पति
म्लेच्छ जाति