SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 317
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अभिधानचिन्तामणिनाममाला • २८६ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ वनप्रिय पुं १३२१ कोयल वपा स्त्री ६२४ मेद, चरबी वनबिडाल १३०१ (शि. १२५) जंगली | वपा स्त्री १३६४ छिद्र, बिल बिलाडो | वपुष् न. ५६४ शरीर वनमक्षिका स्त्री १२१५ डांस, जंगली माखी | वप्त पुं ५५६ पिता, बाप वनमालिन् पुं २१७ विष्णु, कृष्ण |वष्य पुं ५५६ (शे. ११७) पिता, बाप वनराज पुं १२८५ (शे. १८४) सिंह : वन पुं ९६५ खेतर . वनवह्नि पुं ११०१ दावानल, जंगलनो अग्नि | वन पुं न. ९८० कोटनी मूल भूमि, वनव्रीहि पुं ११७६ जंगली चोखा खाईमाथी काढेलो माटीनो ढग 'वनश्रृङ्गाट' पुं ११५६ गोखरु विप्र न. १०४१ सीसुं.. वनस्पति पुं १११६ फूल न आवतां प्रथमथी | वप्रत्रय न. ६२. तीर्थंकरना समवसरणमां ज फल आवे तेवं वृक्ष - फणस वगेरे | रजत स्वर्ण अने रत्नना त्रण गढ होय ते वनाज पुं १२७८ जंगली बकरो . | तीर्थकरनो ३४ पैकी २२मो अतिशय वनाश्रय पुं १३२३ कागडानी सात जात , वप्रा स्त्री ४० श्री नेमिनाथ भगवाननी माता पैकी एक जात वमथु पुं न. ४६९ उल्टी, वमन 'वनायु' पुं १२९३ हरण वमथु पुं १२२३ हाथीनी सूंढमांथी उडता वनिता स्त्री ५०३ स्त्री, नारी .. पाणीना बिंदु वनीपक पुं ३८७ मागण, याचक वमन न. ४६९ उल्टी, वमन वनौकस् पुं १२९२ वानर, वांदरो |वमि स्त्री ४६९ उल्टी, वमन वन्दनमालिका स्त्री १००८ तोरण उपर | वमि पुं ११०० (शे. १६९) अग्नि मंगल माटे बंधाती आंबा के आसोपालवना | वनी स्त्री १२०८ उधेई . पांदडानी माला वनीकूट न. ९७१ राफडो वन्दारु पुं ३४९ वंदन करनार 'वयःस्था' स्त्री ११४५ आमळा वन्दीक पुं १७४ (शे. ३२) इन्द्र (वयःस्था) स्त्री ११४६ हरडे वन्ध्य न. १५१६ व्यर्थ, निष्फल वयस् न. ५६५ वय, उमर वन्ध्या स्त्री १२६६ वांझणी गाय वयस् पुं १३१६ पक्षी वपन न. ९२३ हजामत वयःस्थ पुं ३३९ तरुण, युवान वपनी स्त्री १००० हजामतनुं स्थान । वयस्य पुं ७३० मित्र
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy