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। अभिधानचिन्तामणिनाममाला • २७६ ।। शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ रुचि स्त्री ३९३ भूख, क्षुधा | रुरु पुं १२८० (शे. १८१) कूतरो रुचि स्त्री ४३१ (शे. १०४) इच्छा, रुशती स्त्री २७३ खराब वचन, अमांगलिक . अभिलाषा |
शब्द .. रुचिर न. १४४४ सुंदर, मनोहर | रुष स्त्री २९९ क्रोध, रौद्र रसनो स्थायी भाव रुच्य पुं ५१७ वहालो, पति, वर रुषा २९९ क्रोध, रौद्र रसनो स्थायी भाव रुच्य न. १४४४ सुंदर
स्ह पुं ६ (प.) आ शब्द लगांडवाथी रुज् स्त्री ४६२ रोग
जन्यवाचक शब्द बने छे. जेमके आत्मरुह रुजा स्त्री ६० १२५ योजन सुधी रोग न थाय | रुह्य स्त्री ११९३ धरो
ते तीर्थंकरनो ८मो अतिशय | रूक्ष न. २६९ कठोर वचन रुजा स्त्री ४६२ रोग
| रूक्ष पुं १११४ वृक्ष, झाड रुजा स्त्री १२७७ घेटी
रूप न. १४६२ समान, तुल्य रुजाकर पुं ३१२ मानसिक पीडा . रूपग्रह न. ५७५ (शे. १२१) आंख रुण्ड पुं ५६५ नाचतुं धड.
| रूपतत्त्व न. १३७६ स्वरूप, स्वभाव रुत न. १४०७ पशुओनो शब्द रूपाजीवा स्त्री ५३३ वेश्या रुदित न. १४०२ रुदन, रडवू ते | रूप्य न. १०४३ रूपुं रुद्ध न. १४७६ ढंकायेखें
रूप्य न. १०४६ त्रांबा वगेरेनो सिक्को रुद्र पुं १९५ शंकर
रूप्याध्यक्ष पुं ७२३ नाणा उपरनो अधिकारी रुद्र पुं ८९ (शे. ६) ११ रुद्र-गण देवता | रूप न. १०४३ (शे. १६२) रू' रुद्रतनय पुं ६९५ त्रीजा वासुदेव | 'रूवुक' पुं ११५० एरंडो रुद्रतनय पुं ७८२ (शे. १४५) तलवार | 'रूवूक' पुं ११५० एरंडो . रुद्राणी स्त्री २०३ पार्वती
| रूषित न. १४८३ धूळथी खरडायेखें रुधिर न. ५७ लोही गायना दूध जेतुं सफेद | रे अ. १५३७ संबोधन अर्थमां हे नी जेम होय ते तीर्थंकरनो ३४ पैकी त्रीजो अतिशय | वपरातो शब्द रुधिर न. ६२१ लोही
| रेचित न. १२४८ मध्यम वेगवाळी गति रुमा स्त्री ९४१ मीठानी खाण
(घोडानी) रुमाभव न. ९४२ मीठं, साबरमीढुं, वरागडुं | रेणु स्त्री ९७० धूळ रुरु पुं १२९३ हरणनी एक जात । रेणुकासुत पुं. ८४८ परशुराम