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. शब्दमाला . २७३ .
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ रसाल पुं ११९४ शेरडी
राडूच न. ६७० हरणना रुंवाटामांथी बनेल वस्त्र रसाल पुं ११३३ (शे. १०१) आंबो राज् पुं ६८९ राजा रसाला स्त्री ४०३ शीखंड
राज पुं १०५ (शे. ११) चन्द्रमा रसालेपिन् पुं ५८१ (शे. १२२) होठ । राजक न. १४१७ राजाओनो समूह रसिका स्त्री ५८५ (शे. १२३) जीभ (राजकदम्ब) पुं ११३८ कदंब वृक्ष रसित न. १४०६ मेघनी गर्जना राजदन्त पुं ५८४ उपर नीचेनी हारमा रसोत्तम न. ४०४ (शे. ९९) तरत दोहेलुं दूध | आगला बे दांत, मतांतरे उपरना ज बे दांत रसोद्भव न. १०६८ छीप वगेरेथी उत्पन्न | राजधानी स्त्री ९७३ राजानुं निवासस्थान, थनार मोती
शहेर रसोन पुं ११८६ लसण
राजन् पुं १०५ चन्द्रमा रसोन पुं ११८७ लाल लसण, डुंगरी, गाजर | राजन् पुं १९४ यक्ष रस्ना स्त्री ५८५ (शे. १२३) जीभ | राजन् पुं ६८९ राजा रहस् न. ५३७ मैथुन, कामक्रीडा | राजन् पुं ८६३ क्षत्रिय रहस् न. ७४१ एकांत
राजन्य पुं ८६३ क्षत्रिय रहस्य न. ७४२ गुप्त राखवा योग्य वात | राजन्यक न. १४१७ राजाओनो समूह राका स्त्री. १४९ पूर्ण चन्द्र होय ते पूनम | राजपट्ट पुं १०६६ विराट देशमा उत्पन्न राका स्त्री ५३६ रजस्वला कन्या
थयेलो हीरो राक्षस पुं ९१ चोथा प्रकारना व्यंतर देव | राजपुत्रक. न. १४१७ राजपुत्रोनो समूह राक्षस पुं १८७ राक्षस .
(राजप्रश्नीय) पुं २४५ बार उपांग पैकी राक्षसी पुं १४३ (शे. १९) रात्रि
बीजु उपांग (राक्षशेस) पुं ७०६ रावण
राजबीजिन् पुं ७१३ राजवंशी राक्षा स्त्री ६८५ लाख
राजमुद्ग पुं ११७४ मठ राग पुं ७३ तीर्थंकरमा न होय ते १८ दोष | राजयक्ष्मन् पुं ४६३ क्षयरोग
. पैकी १७मो दोष राजराज पुं १०५ (शे. १२) चन्द्रमा राग पुं २९६ राग शृंगार रसनो स्थायीभाव | (राजराज) पुं १९० कुबेरदेव रागरज्जु पुं २२८ (शे. ७९) कामदेव राजर्षि पुं ७१२ कुमारपाळ राजा रागरस न: ५५६ (शे. ११७) क्रीडा, रमत | राजवंश्य पुं ७१३ राजवंशी