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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २७० .
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ . | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ रजक पुं ९१४ धोबी
रतान्दुक पुं १२८० कूतरो रजत पुं न. १०४३ रूपुं चांदी | रताबुक न. ६०८ (शे. १२७) नितंबमां रजत न. १०४५ सोनुं
रहेला गोलाकार बे खाडा (रजत) न. १०६३ रत्ननी एक जाति रति स्त्री ७२ तीर्थंकरमा न होय ते १८ दोष रजताद्रि पुं १०२८ कैलास, अष्टापद पर्वत पैकी ७मो दोष रजनी स्त्री १४२ रात्रि
| रति स्त्री २२९ कामदेवनी स्त्री (रजनीकर) पुं १०५ चन्द्रमा रति स्त्री २९५ राग, शृंगार रसनो स्थायिभाव रजनीद्वंद्व न. १४४ बे रात
रति स्त्री ५३७ मैथुन, कामक्रीडा रजस् न. ५३६ स्त्री रज
(रतिपति) पुं २२९ कामदेव रजस् न. ९७० धूल
(रतिवर) पुं २२९ कामदेव रजस् न. १०४२ (शे. १६१) कलई, सीसुं | रतोद्वह पुं १३२१ (शे. १९०) कोयल रजस्वल पुं १२८२ पाडो
स्त्र न. १०६३ माणेक वगेरे रत्न रजस्वला स्त्री ५३४ ऋतुवंती स्त्री रत्नकर पुं १८९ कुबेरदेव रजोबल न. १४६ अंधकार
रत्नगर्भ पुं १९० (शे. ४०) कुबेरदेव रज्जु स्त्री ९२८ (शे. २०) दोरी, दोरडं | रत्नगर्भा स्त्री ९३७ पृथ्वी रजन न. ६४२ रक्तचंदन, रतांजली . | रत्नप्रभा स्त्री १३६० नरकनी सात पैकी रण पुं न. ७९६ युद्ध, लडाई
- पहेली पृथ्वी रण न. १४०० शब्द, ध्वनि
रत्नबाहु पुं २१९ (शे. ७२) विष्णु, कृष्ण रणरणक पुं ३१४ उत्साह, उत्कंठा रत्नमयध्वज पुं ६१ आकाशमां रत्नमय धजा रणसंकुल न. ७९९ कोलाहलवाळ युद्ध | होय ते तीर्थंकरनो २०मो अतिशय रणेच्छु पुं १३२५ (शे. १९२) गामडानो रत्नमुख्य. न. १०६५ हीरो
कूकडो | (रत्नराशि) पुं १०७४ समुद्र रण्डा स्त्री ५३१ (शि. ४३) विधवा, रांडेली स्त्री रत्नवती स्त्री ९३८ (शि. ८३) पृथ्वी स्त न. ५३६ मैथुन, कामक्रीडा रत्नसानु पुं १०३२ मेरु पर्वत रतकील पुं १२८० कूतरो
रत्नसू स्त्री पुं ९३७ पृथ्वी रतव्रण पुं १२८० कूतरो
रत्नाकर पुं १०७४ समुद्र रतशायिन् पुं १२८० कूतरो | रत्नि पुं स्त्री ५९९ मूठी वाळेलो हाथ