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। अभिधानचिन्तामणिनाममाला • २५२ ।। शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ महासत्य पुं १८५ (शे. ३७) यम, यमराजा | 'महीलता' स्त्री १२०३ अळसिया महासत्त्व पुं १३० (शे. ४०) कुबेर देव | महेच्छ पुं ३६७ उदार, महात्मा महासत्त्व पुं २३५ (शे. ८१) बुद्ध, सुगत | महेन्द्राणी स्त्री १७५ (शे. ३४) इन्द्राणी महासारथि पुं १०२ (शे. ११) सूर्यनो | 'महेरणा' स्त्री ११५२ शरु, (वृक्ष)
सारथि, अरुण | 'महेरुणा' स्त्री ११५२ शरु, (वृक्ष) महासेन पुं ३६ चन्द्रप्रभ स्वामीना पिता | महेला स्त्री ५०४ (शि. ३९) स्त्री महासेन पुं २०८ कातिकेय, शंकरनो पुत्र | महेश्वर पुं १९८ शंकर महास्थाली स्त्री ९३८ (शे: १५८) पृथ्वी | महेश्वरी स्त्री १०४८ एक जातनुं पित्तल महास्नायु पुं ६३१ मोटी नस | महोक्ष पुं १२५८ मोटा बळद महाहंस पुं २१९ (शे. ७३) विष्णु महोत्पल न. ११६१ कमल 'महिका' स्त्री १०७२ हिम
महोत्सव पुं २२८ (शे. ७८) कामदेव महिमन् पुं २०२ अत्यंत मोटा थवानी शक्ति | महोदय पुं ७५ मोक्ष महिला स्त्री ५०४ स्त्री, नारी | महोदय पुं ८३३ दहीं साथे 'महिलाह्वया' स्त्री ११४९ कांग
मिश्रण करेलु मध महिष पुं ४७ श्री वासुपूज्य भगवान- लांछन | महोदय स्त्री न. ९७३ कान्यकुब्ज, कनोज महिष पुं १२८१ पाडो
| महोरग पुं ९१ आठ व्यन्तरपैकी महिषध्वज पुं १८५ यम, यमराजा
. सातमा व्यन्तरदेव महिषमथनी स्त्री २०५ पार्वती । महौषध न. ४२० सूंठ महिषी स्त्री ५२० पट्टराणी
महौषध न. १९८६ लसण मही स्त्री ९३६ पृथ्वी
मांस पुं ६१९ शरीरनी सात धातु पैकी महीक्षित् पुं ६९० राजा
त्रीजी धातु (महीधर) पुं २१७ विष्णु
मांस पुं ६२२ मांस (महीधर) पुं १०२७ पर्वत
मांसकारिन् न. ६२२ लोही (महीध्र) पुं १०२७ पर्वत
| मांसज न. ६२४ मेद, चरबी महीप्रावार पुं १०७४ (शे. १६७) जेमां मांसतेजस् न. ६२४ मेद, चरबी
वच्चे द्वीपो रहेला छे एवो समुद्र | मांसनिर्यास पुं ६३० (शे. १२९) रोम, (महीरुह) पुं १११४ वृक्ष ।
रुंवाडा