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__. शब्दमाला • २४९ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ मल न. १०४९ कांसु
| मल्लिकाक्ष (ब.व.) पुं १२४३ (शे. १८०) ( मलदूषित) न. १४३५ मलिन, मेलुं
श्वेत नेत्रवाळो घोडो मलय पुं १०२९ मलयाचल पर्वत | मल्लिकापुष्प पुं ११४९ कुटज वृक्ष मलयज पुं ६४१ चन्दन, सुखड | मल्लिगन्धि न. ६४० मोगरा जेवी मलयवासिनी स्त्री २०५ (शे. ४४) पार्वती
सुगन्धिवाळो अगर मलयु स्त्री ११३३ काळा उंबरानुं वृक्ष, मशकिन् पुं ११३२ उंबरानुं वृक्ष घुलरडो
(मषि) पुं स्त्री ४८४ मसी, साही मलिन न. १४३५ मलिन, मेलुं . | मषिकूपी स्त्री ४८४ साहीनो खडीओ मलिनाम्बु न. ४८४ मसी, साही | मषिधान न. ४८४. साहीनो खडीओ मलिनी स्त्री ५३५ रजस्वला स्त्री, मषी पुं स्त्री ४८४ साही, मसी
ऋतुवाळी स्त्री (मषीकूपी) स्त्री ४८४ साहीनो खडीओ मलिनी स्त्री १२७० (शि. १११) बाल्यवयम (मषीधान) न. ४८४ साहीनो खडीओ
गर्भवाळी थयेली गाय (मषीभाजन) न. ४८४ साहीनो खडीओ मलिम्लुच पुं ३८२ चोर
|(मसि) पुं स्त्री ४८४ मसी, साही मलिम्लुच पुं ८५८ ब्रह्म, यज्ञ वगेरे पांच | मसी पुं स्त्री ४८४ मसी, साही
___ यज्ञथी भ्रष्ट थयेलो . | मसुर पुं स्त्री ११७० मसूर मलीमस न. १४३५ मलिन, मेलुं मसूण स्त्री ४१३ चीकj मलुक पुं ६०४. (शे. १२६) पेट | मस्कर पुं. ११५३ वांस मल्लपुं५६ आवती चोवीसीना २१मा तीर्थंकर | मस्करिन् पुं ८१० ४ आश्रम पैकी मल्लनाग पुं ८५३ वात्स्यायन मुनि,
४थो संन्यासाश्रम ____ न्याय भाष्य कर्ता | मस्तक पुं न. ५६६ मस्तक, माथु मल्लि पुं २८ आ अवसर्पिणीना मस्तकस्नेह पुं ६२५ मगज . १९मा तीर्थंकर
मस्तिक न. ५६७ मस्तक, माथु मल्लिका स्त्री १०२४ प्यालो, पाणी पीवानुं पात्र | मस्तिष्क पुं न. ६२५ मगज मल्लिका स्त्री ११४८ मोगरो । | मस्तु न. ३९६ मठो, दहींनी तर मल्लिकाक्ष (ब.व.) पुं.१३२६ धोळा शरीर, | मस्तुलङ्गक पुं ६२५ मगज .
काळा पग तथा चांचवाळो हंस । मह पुं १२८२ पाडो