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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २४६
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ मध्यमा स्त्री ५११ युवान स्त्री (ऋतु प्राप्त | मनोजव पुं ४८८ (शे. ३७) पितातुल्य थयेल स्त्री)
काका वगेरे मध्यमा स्त्री ५९३ वचली आंगळी मनोजवस पुं ४८८ पिता तुल्य काका मध्यमीय न. १४६० मध्यम, वचलुं मनोज्ञ न. १४४५ सुंदर, मनोहर मध्यलोका स्त्री ९३८ (शे. १५७) पृथ्वी | मनोदाहिन् पुं २२८ (शे. ७९) कामदेव मध्यलोकेश पुं६८९ राजा
(मनोयोनि) पुं २२९ कामदेव मध्यस्थ पुं ८८२ (शे. १५४) विवादमां | मनोरथ पुं ४३० इच्छा, अभिलाषा
निर्णय करनार प्रामाणिक पुरुष | मनोरम न. १४४४ सुंदर, मनोहर मध्या स्त्री ५९३ वचली आंगळी (मनोरम) पुं ९४ त्रीजा ग्रैवेयक देव मध्याह्न न. १३९ बपोर
मनोराज्य पुं ४३१ (शि. ३०) इच्छा, मध्वासव पुं ९०४ महुडानो दारु
अभिलाषा मनःशिला स्त्री १०५९ मणशील धातु (मनोविलास) पुं ५०७ स्त्री- धन मनस् न. २२९ कामदेवनी योनि
(मननो विलास) मनस न. १३६९ मन
(मनोविलासवती) स्त्री ५०७ मनना (मनसिशय) पुं २२७ कामदेव
_ विलासवाळी स्त्री मनस्ताल पुं २०५ पार्वतीनुं वाहन (सिंह) | मनोहत पुं ४३९ निराश, ना-उमेद थयेलो मनाक अ. १५३६ थोडं, अल्प . मनोहर न. १४४४ सुंदर, मनोहर मनित न. १४९६ जाणेलु
मनोहारी स्त्री ५२९ (शे. ११३) कुलटा, मनीषा स्त्री ३०८ बुद्धि, मति
असती स्त्री मनीषिन् पुं ३४१ विद्वान, पंडित | मनोझ स्त्री १०६० मणसील धातु मनुज पुं ३३७ मनुष्य
मन्तु पुं ७४४ अपराध मनुज्येष्ठ पुं ७८२ (शे. १४५) तलवार मन्त्र पुं ७४१ एकान्ते थती विचारणा मनुष्य पुं ३३७ मानव
मन्त्रजिह पुं १०९९ अग्नि (मनुष्यधर्मन्) पुं १८९ कुबेरदेव मत्रविद् पुं ७३३ गुप्तचर, चरपुरुष मनोगवी स्त्री ४३१ (शि. ३०) इच्छा, मन्त्रशक्ति पुं ७३५ सन्धि विग्रह वगेरे
अभिलाषा, मनोरथ पांचने यथास्थाने स्थापन करवाथी उत्पन्न मनोगुप्ता स्त्री १०५९ मणशील धातु । थयेली शक्ति