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__ शब्दमाला • २४३ . शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ मण्डल त्रि ४६७ एक जातनो कोढ रोग | मत्कुण पुं १२१९ दांत न आवेला अने ढूंका मण्डल न. ७७७ बन्ने पग
अंगवाळो हाथी गोळाकार राखवा ते | मत पुं ४३६ मद वाळो मण्डल त्रि ९४७ देश
मत्त पुं १२२० मदोन्मत्त हाथी मण्डल न. त्रि १४११ समूह
मत्तवारण पुं १०१२ झरुखो, गोख मण्डल पुं १२८० (शे. १८३) कूतरो मत्तालम्ब पुं १०१२ झरुखो, गोख मण्डलक न. ४६७ (शि. ३४) एक जातनो | मत्तेभगमना स्त्री ५०६ विशिष्ट चालवाळी स्त्री
- कोढ रोग मत्य न. ८९२ खेतरनी भूमिने सरखी कवी ते मण्डलाग्र पुं ७८२ तलवार
मत्स पुं १३४४ (शि. १२१) मच्छ, माछलो मण्डलाधीश पुं ६९० एक देशनो राजा | मत्सरिन् पुं ३८० दुर्जन, खल मण्डलिन् पुं १३०२ सेहलो, एक जातनो | मत्स्य पुं १३४३ माछलो बिलाडो
| मत्स्यजाल न. ९२९ माछला पकडवानी जाळ मण्डहारक पुं ९०१ कलाल-मदिरा वेंचनार | मत्स्यण्डी स्त्री ४०३ साकर मण्डित पुं ३२ श्री महावीर भगवानना (मत्स्यण्डिका) स्त्री ४०३ साकर __छा गणधर
(मत्स्याण्डिका) स्त्री ४०३ साकर मण्डितपुत्र पुं ३२ (शि. ३) श्री महावीर (मत्स्वाण्डी) स्त्री ४०३ साकर
भगवानना छा गणधर मास्वनाशन पुं. १३३५ कुररपक्षी मण्डूक पुं १३५४ देडको .. मास्वबन्धी स्त्री ९२९ माछला पकडवानो मण्डूर न. १०३८ लोढामो काट
करंडियो मत न. १३८३ अभिप्राय . . मत्स्यराज पुं १३४६ रोहित मच्छ, मतङ्गज पुं १२१७ हाथी
(मोये मच्छ) प्रतल्लिका स्त्री १४४० आ शब्द जोडवाथी. मत्स्यवेधन न. ९२९ गरल-माछला प्रशंसा वाचक शब्द बने छे ...
पकडवानो आंकडो मति स्त्री ३०८
बुद्धि म त्स्योदरी स्त्री ४४८ (शे. १५४) व्यास (मतियत्) पुं ३४२ विद्वान ..
. ऋषिनी माता मत्कुण न. ७६८ जांघनुं बखर म थन पुं ११ (प.) आ शब्द जोडवाथी मत्कुण पुं १२०९ मांकड . । . वधक वाचक शब्द बने छे