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. शब्दमाला • २४१ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ भ्रान्ति पुं १५१९ चक्राकारे भमवं. 'मकुष्टक' पुं ११७४ मठ (भ्रामर) न. १२१४ मधनी एक जात मकुष्टक पुं ११७४ मठ, अनाज भ्रामरी स्त्री २०५ (शे. ४९) पार्वती . | 'मकूष्टक' पुं ११७४ मठ भ्राष्ट्र पुं १०२० चणा वगेरे शेकवानी कडाइ मख पुं ८२० यज्ञ भ्रुकुंस पुं ३२९ स्त्री वेष धारण करनार नट | मखक्रिया स्त्री..८३४ यज्ञनी क्रिया भृकुटि पुं ५७९ क्रोधथी वांकी भमर थाय ते | मखासुहृत् पुं २०० शंकर भ्रू स्त्री ५७९ भ्रमर, भंवा
मगध पुं ७९५ राजानी स्तुति करनार भाट भूकुंस पुं ३२९ नट, स्त्री वेष धारण करनार | मगध (ब.व.) पुं ९६० मगधदेश भ्रूकुटि पुं ५७९ क्रोध वि: थी | मगधेश्वर पुं ६९९ जरासंध
वांकी भ्रमर थाय ते . (नवमो प्रति वासुदेव) भ्रूण पुं ५४० गर्भ
मघवत् पुं १७१ इन्द्र भ्रष पुं १५१७ उंचा स्थानथी पडवू . मघवन् पुं १७४ इन्द्र
| मघवन् पुं ६९२ त्रीजो चक्रवर्ती मकर पुं ४७ मगर, श्री सुविधिनाथ । | मघा (ब.व.) स्त्री १११ मघा नक्षत्र
भगवाननु लांछन . मघाभव पुं ११९ शुक्र मकर पुं १९३ नवनिधि पैकी चोथो निधि | मङ्क्ष अ. १५३० जल्दी मकर पुं २२९ कामदेव- चिन्ह । | | (मक्षु) न. १५७० जल्दी मकर पुं १३५१ मगर वगेरे जलजंतु | मख पुं ७९५ (शि. ६९) मागध . (मकर) पुं ११६ बार राशि पैकी . राजाओनी स्तुति करनार भाट . - दशमी राशि
मङ्ग न. ८७८ वहाणनो अग्रभाग (मकरकेतन) पुं.२२९ कामदेव
| मङ्गल न. ११६ मंगल ग्रह (मकरध्वज) पुं २२९ कामदेव | मङ्गलध्वनि पुं ५१८ (शे. १०९) मांगलिक मकरन्द पुं ११२७ पुष्परस, पराग
शब्द मकराकर पुं १०७४ समुद्र
मङ्गलपाठक पुं ७९४ भाट, चारण मकरालय पुं १०७४ (शि. ९६) समुद्र मङ्गलशंसन न. २७२ आशीर्वाद मकुट पुं ६५१ (शि. ५२) मुगंट मङ्गलस्नान न. ५१८ (शे. ११०) शान्ति मकुर पुं.६८४ (शि. ५७) दर्पण | क्रियामां सुगंधी जल वडे करातुं स्नान