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M अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २४० शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ - शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ । भेरी स्त्री २९३ नगारुं
भ्रंश पुं १५१७ ऊंचा स्थानथी पडवू, भेल पुं ८७९ नानी होडी, मछवो
. पोताना पदथी पडवू भेषज न. ४७२ औषध . भ्रकुंस पुं ३२९ स्त्री वेषधारी नट भैक्ष न. १४१५ भिक्षाओनो समूह | भ्रकुटि पुं ५७९ क्रोध वगेरेथी वांकी भैरव पुं १९८ महादेव
. भ्रमर थाय ते भैरव न. ३०३ भयानक (रस) भ्रम पुं ९०९ दारुभ्रामक यन्त्र भैरवी स्त्री २०६ चामुंडा देवी
भ्रम पुं १०८८ चक्राकारे जलनुं नीचे जर्बु, भैषज्य न. ४७३ औषध, दवा
पाणीने नीकळवानों रस्तो भोक्तृ पुं ५१७ पति, वर
भ्रम पुं १३७४ भ्रम, विपरीत ज्ञान भोग पुं ३६३ गणिकानो पगार भ्रम पुं १५१९ चक्राकारे फरवू, भमर्रा भोग पुं १३१५ फणा, सर्पनी फेण भ्रमर १२१२ भमरो भोग पुं १३१५ सर्पनुं शरीर . भ्रमरक पुं ५६९ ललाट उपरना 'भोगधर' पुं १३०४ सर्प
लटकता वाळ भोगान्तराय पुं ७२ तीर्थंकरमा न होय ते | भ्रमरालक पुं ५६९ ललाट उपरना १८ दोष पैकी चोथो दोष
लटकता वाळ भोगावती स्त्री १३०७ नागोनी नगरी | भ्रमासक्तः पुं ९१६ तलवार वगेरे शस्त्र भोगावली स्त्री ७९५ स्तुतिपाठकनो ग्रन्थ - घसनार, सराणियो भोगिन् पुं १३०३ सर्प
भ्रमि पुं १५१९ चक्राकारे भमकुं, फरवू भोगिनी (ब.व.) स्त्री ५२० अभिषेक | भ्रष्ट न १४९१ पडी गयेखें
विनानी राजानी राणी (भ्रष्टबाण) पुं ७७२ निशान चूकेलो भोजन न. ४२४ भोजन, जमण भ्रातुर्जाया स्त्री ५१४ भाभी भोलि पुं १२५३ ऊंट
भ्रातृ षु ५५० सगो भाई भोस् अ. १५३७ संबोधनना अर्थमां भ्रातृ पुं (द्वि.व.) ५६१ भाइ बहेन बन्ने भौती स्त्री १४२ रात्रि
(भ्रातृजाया) स्त्री ५१४ भाभी भौम पुं ११७ (शे. १४) मंगल ग्रह .. | भ्रातृव्य पुं ५४३ भत्रीजो (भौम) पुं ११७ मंगल ग्रह | भ्रात्रीय पुं ५४३ भत्रीजो. भौरिक पुं ७२३ सुवर्ण उपरनो अधिकारी | भ्रान्ति पुं १३७४ विपरीत ज्ञान, (भ्रम)