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- शब्दमाला . २३१ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ बुद्बुद पुं १०७७.पाणीनो परपोटो बोधि पुं १३२५ (शे. १९२) कुकडो बुध पुं ११७ बुध ग्रह
बोधितरु पुं ११३१ पीपळो बुध पुं ३४१ पंडित, विद्वान . . बोधिद पुं २५ अरिहंत, जिन बुध पुं १०५ (शे. १२) चन्द्र बोधिसत्त्व पुं २३२ बुद्ध, सुगत बुध पुं २३५ (शे. ८१) बुद्ध, सुगत बोधिसत्त्व पुं ११३१ पीपळो बुधित न. १४९६ जाणेलुं
बोल पुं १०६३ हीराबोळ बुन पुं ११२१ वृक्षतुं मूळ
(बोहित्थ) पुं ८७६ वहाण बुभुक्षा स्त्री ३९३ भूख
(बौद्ध) पुं ८६१ बुद्धनो अनुयायी बुभुक्षित पुं ३९२ भूख्यो
बौध पुं ७०१ पुरूरवा राजा बुलि स्त्री ६०९ स्त्री- चिह्न, योनि ब्रज पुं ९६ सूर्य बुलि स्त्री ६१२ गुदा
'ब्रन' पुं ११२१ वृक्ष- मूळ 'बुष' पुं १९८२ पराळ ।
| (ब्रह्मचर्य) न. ८१ ब्रह्मचर्य, पांच यम बृहत् न. १४३० विशाल, मोटुं
- पैकी चोथो यम बृहतिका स्त्री ६७२ उत्तरासंग, खेस | ब्रह्मचारिणी स्त्री २०५ (शे. ५५) पार्वती बृहती स्त्री २८९ विश्वावसुनी वीणी . | ब्रह्मचारिन् पुं २०८ कार्तिकेय 'बृहती' स्त्री ११५७ बेठी भोंय रींगणी |(ब्रह्मचारिन्) पुं ८०७ ब्रह्मचर्य आश्रम, बृहतीपति पुं ११९ गुरु (बृहस्पति)
चार. आश्रम पैकी पहेलो आश्रम बृहत्कुक्षि पुं ४५० मोटा पेटवाळो । ब्रह्मचारिन् पुं ८०८ ब्रह्मचारी, मन, वाणी, बृहद्भानु पुं १०९७ अग्नि -
: कायाथी विषय सेवननो त्याग करनार बृहनट पुं ७०९ अर्जुन । । ब्रह्मज पुं (ब.व.) ९३ ब्रह्म देवलोकना बृहस्पति पुं ११८ गुरु (बृहस्पति)
वैमानिक देव बंहित न. १४०५ हाथीओनी गर्जना . | ब्रह्मण्य पुं १२१ (शे. १६) शनिग्रह बेडा स्त्री ८७७ नौका, नाव
| ब्रह्मत्व न. ८४१ ब्रह्मपणुं, शुद्धचैतन्य बैल्व पुं ८१५ बीलानो दंड .
स्वरूपनी प्राप्ति बोधकर पुं ७९४ वैतालिक राजाओने बह्मदत्त पुं ६९४ ब्रह्मदत्त (१२मा चक्रवती)
सवारमा स्तुति करीने जगाडनार | ब्रह्मन् पुं ४२ श्री शीतलनाथ भगवनना बोधि पुं. २३५ (शे. ८१) बुद्ध, सुगत
शासनदेव