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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २३२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द /लिंग / श्लोक ( अर्थ ब्रह्मन् पुं न. ७४ मोक्ष
ब्रह्माञ्जलि पुं ८३८ वेदपाठ करती वखते ब्रह्मन् न. ८१ ब्रह्मचर्य, पांच यम पैकी | . . करेली अंजलि . चोथो यम
| (बह्माणी) स्त्री २०१ शंकरनी माता ब्रह्मन् पुं २१२ ब्रह्मा
. (शक्तिरूप) ब्रह्मन् पुं ९८ (शे. ९) सूर्य ब्रह्मावर्त पुं ९४९ सरस्वती अने ब्रह्मन् पुं ८१३ (शि. ७१) ब्राह्मण
. दृषद्वती नदीनो मध्यभाग ब्रह्मनाभ पुं २१९ (शे. ७४) विष्णु | ब्रह्मासन न. ८३८ ध्यान अंने योग करवा ब्रह्मपादप पुं ११३६ पलाश 'वृक्ष,
माटे, आसन खाखरानुं झाड . ब्राह्म पुं १६० ब्रह्मानो एक अहोरात्र ब्रह्मपुत्र पुं ११९३ स्थावर विष. ब्राह्म न. ८४० ब्राह्मतीर्थ, अंगूठानुं मूळ (ब्रह्मपुत्री) स्त्री १०८५ सरस्वती नदी | ब्राह्मण पुं ८११ ब्रह्माण, विप्र ब्रह्मबन्धु पुं ८५५. अधम ब्राह्मण (ब्राह्मणवर्ग) पुं१४१३ ब्राह्मणोनो समुदाय ब्रह्मबिन्दु (ब.व.) पुं ८३९ धुंक, वेद पाठ ब्राह्मणीस्त्री १२०७ मोटा माथावाली नानी कीडी
_वखते मुखमांथी नीकळता जलकण | ब्राह्मणी स्त्री १२९९ मोटी गरोळी ब्रह्मभूय न. ८४१ ब्रह्मपणुं
ब्राह्मण्य न. १४१९ ब्राह्मणनो समूह ब्रह्मयज्ञ पुं ८२१ वेदनुं अध्ययन, ब्रह्मज्ञान | ब्राह्मी स्त्री १०९ रोहिणी नक्षत्र ब्रह्मरात्रि पुं ८५१ याज्ञवल्क्य | ब्राह्मी स्त्री २०१ शंकरनी माता ब्रह्मरीति पुं १०४८ पित्तल
| ब्राह्मी स्त्री २४१ सरस्वती देवी, वाणी ब्रह्मवर्चस् न. ८३८ स्वाध्यायथी उत्पन्न तेज | ब्राह्मी स्त्री १०४८ पित्तल बह्मवर्धन न. १०४० तांबु |ब्रुव न. १४४२ अधम, हलकुं ब्रह्मवेदि स्त्री ९४० कुरुक्षेत्रमा पांच ।
रामदनो मध्यभाग भ न. १०७ नक्षत्र, तारा ब्रह्मसम्भवपुं६९५ द्विपृष्ट, (बीजा वासुदेव) | भक्त पुं ३९५ भोजन भात ब्रह्मसायुज्य न. ८५१ ब्रह्मपणुं भक्तका पुं ७२३ रसोइओ ब्रह्मसू पुं २३० कामदेवनो पुत्र भक्तमण्ड पुं ३९६ (शे. ९६) चोखानो ब्रह्मसूत्र न. ८४५ (शि. ७३) जनोइ
मंड, ओसामण ब्रह्मसूनु पुं६९४ ब्रह्मदत्त, (बारमो चक्रवर्ती) | भक्ति स्त्री ४९६ सेवा, भक्ति