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सा, गुट
- अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २२८ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ बलित न. ४२० (शे. १०२) काळा मरी | बहुकर पुं ३६३ खळं साफ करनार, बलिन् पुं ४४८ बलवान, पुष्ट
झाडु काढनार बलिन् पुं. ११७१ अडद
बहुकरी पुं स्त्री १०१६. सावरणी बलिन् पुं २२५ (शे, ७७) बलदेव बहुगहवाच पुं ३४७ वाचाल, बलिन्दम पुं २१९ (शे. ६४) विष्णु । ... बहु निंद्य भाषण करनार बलिपुष्ट पुं १३२२ (शे. ११८) कागडो | बहुत्वक्क पुं ११४४ भोजपत्रनुं वृक्ष (बलिबन्धन) पुं २२१ विष्णु
बहुदुग्धा स्त्री १२६९ घणा दूधवाळी गाय : बलिभुज् पुं १३२२ कागडो
बहुधान्यार्जक पुं ३६३ (शि. २४) घणु'बलिमुख' पुं १२९२ वांदरो
धान्य पेदा करनार बलिवेश्मन् पुं १३६३ पाताल बहुपाद् पुं ११३२ वडनुं झाड बलिश न. १११९ गांठमांथी नीकळेलो | बहुपुत्री स्त्री २०५ (शे. ५९) पार्वती अंकुर
| बहुप्रज पुं १२८८ भंड बलीमुख पुं १२९२ वानर, वांदरो बहुप्रद पुं ३८५ घणुं आपनार बलीवद पुं १२५७ बळद
| बहुप्रसू स्त्री ५५८ घणीवार प्रसव करनारी स्त्री 'बष्कयणी' स्त्री १२६७ लांबा वखतनी | बहुभुजा स्त्री २०५ (शे. ५२) पार्वती
: वियायेली गाय | बहुमार्गी पुं ९८८ घणा रस्ता भेगा थाय बष्कयिणी स्त्री १२६७ लांबा वखतनी
तेवू स्थान वियायेली गाय
बहुमूत्रता स्त्री ४७० प्रमेह रोग 'वस्त' पुं १२७५ बकरो
बहुरूप पुं ६४७ राळ बस्ति पुं स्त्री ६०६ मूत्राशय | बहरूप पुं ९८ (शे. ९) सूर्य बस्तिमल न. ६३३ मूत्र, पेशाब | बहुरूप पुं. २१९ (शे. ७१) कृष्ण, विष्णु (बहल) न. १४३७ घट्ट, निरंतर | बहुरूप पुं २०० शंकर बहिद्वार १००७ तोरण
बहुरूप पुं १४६९ (शि. १३१) विविध प्रकारनुं बहिस्वर पुं १३५२ करचलो, जलजन्तु । | बहुल पुं १४७ कृष्णपक्ष बहिस् अ. १५४१ बहार
बहुल पुं १०९९ अग्नि बहु न. १४२५ बहु, घj
| बहुल न. १४२५ बहु, घj बहु न. १४३० विशाल, मोटुं | बहुलग्रीव 'पुं १३२० (शे. १८९) मोर