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शब्दमाला
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ फण पुं स्त्री १३१५ फणा, सर्पनी फेण 'फणधर' पुं १३०४ राज सर्प फणभृत् पुं १३०३ सर्प, नाग फणिन् पुं ४८ सर्प, श्री पार्श्वनाथ भ. नुं लछन ( फणिन्) पुं. १३५१ मगर, जळजंतु ( फणिलता) स्त्री ११५५ नागरवेल फरक पुं न. ७८३ (शि. ६८) ढाल, फलक फल न. ८६९ लाभ, ( व्याज आदि) फल न. ८९१ कोस, हळनुं नीचलुं लोखंडी फळं
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शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ फलिनी स्त्री १९४९ सुगंधी घऊंलो 'फली' स्त्री ११४९ सुगंधी घऊंलो फलेग्रहि पुं १११६ अवश्य फळे तेवुं वृक्ष 'फलेरुहा' स्त्री ११४४ कांकच फलोदय पुं ८७ (शे. ३) देवलोक फल्गु स्त्री ११३३ काळा अंबरानुं वृक्ष, घुलरडो
फल्गु न. १४४६ असार, नकामुं, फालतु फल्गुनाल पुं १५३ (शे. २३) फागण महीनो फल्गुनीभव पुं ११८ गुरु, बृहस्पति
फल पुं न. ११३० वृक्षादिनुं फळ
फल न. ११८३ केरी वगेरे फळ (शाक ) . फाणित पुं न. ४०३ साकर, शेरडीना रसनी फल न. १४४६ परिणाम, प्रयोजन गोळ करतां पातळी बनावट फलक पुं न. ७८३ ढाल, फलक फाण्ट न. १४८१ औषधने रात्रे पाणीमां फलकिन् पुं ६४१ (शे. १३१) चन्दन, सुखड पलाळी सवारे गाळी लेवुं ते फलद पुं १११४ वृक्ष फाल पुं ८९१ कोस, हळनुं लोखंडी फळ फलपाकावसानिका स्त्री १११७ फळ फाल पुं २२५ (शे. ७७) बलदेव परिपक्व थतां जे वृक्ष नाश पामे ते घउं जव- (फाल) न, ६६९ वस्त्र कपासमांथी डांगर आदि बलुं होय ते (फाल ) पुं १०३९ लोढानी कोश फाल्गुन पुं १५३ फागण महीनो फाल्गुन पुं ७०८ अर्जुन फाल्गुनानुज पुं १५३ (शे. २३) चैत्र महीनो फाल्गुनिक पुं १५३ फागण महिनो फुल्ल न. ११२७ खीलेलुं (पुष्प) फुल्लक न. ३०४ (शे. ८९) आश्चर्यअद्भुत रसनो स्थायी भाव
'फलपूर' पुं १९५० बीजोरु 'फलभूमि' पुं ९४६ अकर्मभूमि फलवत् पुं १११६ फळवाळु (वृक्ष) फलवन्ध्य पुं १११६ वांझियुं वृक्ष फलादन पुं १३३५ पोपट फलावन्ध्य पुं १११६ अवश्य फळे तेवुं वृक्ष फलिन् पुं १११६ फळवाळु (वृक्ष) फलिन पुं १११६ फळवाळं (वृक्ष)