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________________ " अभिधानचिन्तामणिनाममाला • २२४ा शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक,/. अर्थ प्रेडोलित न. १४८० हलावेलु, कंपेलु | वियायेली गाय प्रेत पुं ३७३ मरेलो प्रौढि स्त्री ३०० उत्साह, वीर रसनो स्थायी प्रेत पुं १३५८ नारकी, नरकमां उत्पन्न थेयेल । भाव . . . जीव प्रौष्ठपद पुं १५४ भादरवो महीनो प्रेतगृह न. ९८९ श्मशान प्लक्ष पुं ११३१ पींपळ. प्रेतपति पुं १८४ यमराजा प्लव पुं ८७९ नानी होडी, मछवो प्रेतवन न. ९८९ श्मशान प्लव पुं ९३३ चांडाल प्रेत्य अ. १५२८ परलोक, भवांतर प्लव पुं. १०८७ पाणीनी वृद्धि प्रेमन् पुं न. १३७७ स्नेह, प्रेम प्लवं पुं १३४० पाणीमां डुबकी मारनार प्रेमवती स्त्री ५१५ (शि. ४१) वहाली, पत्नी प्रेयस् पुं ५१६ वहालो, पति प्लव पुं १३५४ देडको प्रेयसी स्त्री ५१५ वहाली, पत्नी प्लवग पुं ४७. श्री. अभिनंदन स्वामी प्रेषित न. १४९२ मोकलेखें । भगवान, लंछन, वांदरो (प्रेष्ठ) पुं ५१६ वहालो, पति प्लवग पुं १०३ सूर्यनो पुत्र प्रेष्ठा स्त्री ५१६ वहाली, पत्नी प्लवग पुं १२९२ वांदरो प्रेष्य पुं ३६० चाकर, नोकर 'प्लवग पुं १३५४ देडको प्रोक्षण न. ८३० यज्ञमां थतो पशुनो वध | प्लवङ्ग पुं १२९२ वांदरो प्रोज्जासन न. ३७० हिंसा प्लवङ्गम पुं १२९१ वांदरो प्रोत पुं न. ६६७ वस्त्र प्लवङ्गम पुं १३५४ देडको प्रोत न. १४८७ परोवेलुं . . प्लीहन् पुं ६०५ बरोळ, हृदयनी डाबी प्रोथ पुं न. १२४३ घोडा, नाक बाजुनो मांसपिंड प्रोथिन् पुं १२३३ (शे. १७८) घोडो | प्लुत न. १२४८ पक्षी अने मृगना जेवी प्रोष्ठपदा स्त्री ११५ उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र ठेकडा मारती चाल प्रोष्ठी स्त्री १३४६ सफेद मच्छ | प्लुष्ट पुं १४८६ बळेलु प्रौढ पुं ३४३ प्रतिभाशाली | प्सान न. ४२४ भोजन, खाद् प्रौढ न. १४९५ घणुं वधेनुं प्रौढवत्सा स्त्री १२६७ लांबा वखतनी | फट पुं स्त्री १३१५ फणा, सर्पनी फेण
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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