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अभिधानचिन्तामणिनाममाला • २२२ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ |शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ प्राण १३६७ प्राण
प्रादुष्कृत न. १४७८ (शि. १३२) प्रगट प्राण पुं ११०७ (शे. १७१) वायु, पवन
- करायेखें, बतावेलु प्राणतज (ब.व.) पुं९३ १०मा देवलोकना | प्रादुस् अ. १५३९ प्रकट, प्रकाश, खुल्लं
देवो
प्रादेश पुं५९५ अंगूठो तर्जनी सहित लंबावे प्राणद न. ६२१ लोही
. तेटली लंबाई प्राणद न. १०७० पाणी
प्रादेशन न. ३८६ (शि. २७) दान, त्याग प्राणयम पुं ८३ प्राणायाम, ८ पैकी योगनुं | प्राध्वम् अ. १५४२ (शे. १९९) अनुकूळ
४) अंग . प्रान्तर न. ९८५ शून्य मार्ग, पाणी छाया न (प्राणसम) पुं ५१६ वहालो, पति, वर | . होय तेवो मार्ग : प्राणसमा स्त्री ५१६ वहाली, प्रियतमा, पत्नी | प्रापणिक पुं ८७६ (शि. ७७) वेपारी (प्राणहिता) स्त्री ९१५ पगरखा, जोडा, बूट | प्राप्त त्रि ७४३ योग्य, वाजबी, न्याययुक्त प्राणायाम पुं ८३ प्राणायाम, | प्राप्त न. १४९० मेळवेलुं..
योगर्नु ४थं अंग | प्रासरूप पुं ३४१ विद्वान, पंडित प्राणावाय न. २४८ १४ पूर्व पैकी | प्राप्ति स्त्री २०२ प्राप्ति, सिद्धि, आंगळना १२मु पूर्व
अग्रभागथी सूर्य-चन्द्रने स्पर्शवानी शक्ति (प्राणावायप्रवाद) न. २४८ १४ पूर्व पैकी | | प्राभृत न. ७३७ दान, भेट, लांच
१२मुं पूर्व प्राय पुं ५६५ बाल्यादि वय, अवस्था प्राणद्यूत न. ४८८ कूकडा वगेरेने शरत | प्राय पुं ८४३ संन्यासी, अनशन, बधुं करी लडाववा ते
त्यागी मरण पामधं ते प्राणिन् पुं १३६६ (शि. १२३) संसारी जीव | प्रायस् अ. १५२९ घणुं करीने (प्राणेश) पुं ५१६ वहालो, पति | प्रालम्ब न. ६५२ गळामांथी बन्ने बाजुए प्राणेशा स्त्री ५१५ वहाली, पत्नी |
छाती उपर लटकती माळा प्रातर् अ. १५३३ सवार
| प्रालम्बिका स्त्री ६५७ नाभि सुधी लटकती प्रातराश पुं ४२५ नास्तो, प्रभातनुं भोजन
सोनानी कंठी प्रातिहारिक पुं ९२५ इन्द्रजालिक, बाजीगर | प्रालेय न. १०७२ हिम, झाकळ प्राथमकल्पिक पुं ७९ नवीन शिष्य, प्रावरण न. ६७१ ओढवा, वस्त्र
प्रथम दीक्षा लेनार | प्रावार पुं ६७२ खेस, उत्तरासंग