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. शब्दमाला . २२१. शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ प्रहित पुं ७७९ नाखेलु (बाण) | प्राघूण पुं ४९९ अतिथि, महेमान प्रहित न. १४९२ मोकलेखें
प्राघूर्णक पुं ४९९ अतिथि, महेमान प्रहेलिका स्त्री २५९ गुप्त भाव सूचवनार प्राङ्गण न. १००४ आंगणुं
श्लोक काव्य प्राच् न. १६८ पूर्व दिशामां उत्पन्न थयेनु प्रह पुं ३८५ तत्पर, आसक्त
प्राची स्त्री १६७ पूर्व दिशा प्रह्लाद पुं ६९९ ७मा प्रतिवासुदेव | प्राचीन न. १६८ पूर्व दिशामां उत्पन्न थयेखें प्रांशु न. १४२९ ऊंचुं
प्राचीन पुं ९८२ घरने फरतो कोट के वाड प्राक् अ. १५३५ पूर्वे, पहेलां प्राचीनबर्हिष् पुं १७१ इन्द्र प्राक् अ. १५४२ (शि. २०१) पूर्व दिशा, | प्राचीनावीत ८४५.डाबा खभा उपर धारण देश अथवा पूर्व काळ
करेली जनोई प्राक् अ. १५४२ (शि. २०१) पूर्व काळमां, I (प्राचीश) पुं १७३ इन्द्र पहेला
प्राचेतस पुं ८४६ वाल्मीकि ऋषि प्राक् अ. १४५९ (शि. १३०) प्रथम, पहेलुं | प्राच्य पुं ९५२ शरावती नदीनो पूर्व अने प्राकाम्य न. २०२ इच्छित प्राप्त थाय तेवी
दक्षिणानो देश शक्ति, अष्ट सिद्धि पैकी एक सिद्धि | प्राजन न. ८९३ परोणो, चाबुक प्राकार पुं. ९८० कोट, किल्लो | प्राजापत्य पुं ६९५ त्रिपृष्ठ नामना प्रथम प्राकाराग्र न. ९८१ कोटना कांगरा..
. वासुदेव प्राकृत पुं ९३२. पामर, नीच, असंस्कारी | प्राजितृ पु ७६० सारथि (प्राकृत) न. २८५ प्राकृत भाषा प्राज्ञ पुं ३४१ विद्वान, पंडित प्रागल्भ्य न. ५०९ स्त्रीओना ७ अयत्रज प्राज्ञा स्त्री ५२२ तीक्ष्ण बुद्धिवाळी स्त्री
____अलंकार पैकी १लो अलंकार | प्राज्ञी स्त्री ५२२ समजदार स्त्री, शाणी प्राग्ज्योतिष (ब.व.) पुं.९५६ आसाम, कामरूप देश । प्राज्य न. १४२५ घणुं, बहु. प्राग्रहर न. १४३८ प्रधान, श्रेष्ठ प्राञ्जल पुं ३७५ सरळ, सादो 'प्राग्य' पुं १४३९ मुख्य, प्रधान .. | प्राड्विवाक पुं ७२० न्यायाधीश प्राग्वंश पुं ९९६ पत्नीशाला नामनो प्राण पुं ७९६ पराक्रम
- अग्निशाळानो आगलो भाग | प्राण पुं १०६३ हीराबोळ 'प्राघाण' पुं१०१० दरवाजा पासेनो ओटलो | प्राण पुं ११०८ प्राणवायु