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अभिधानचिन्तामणिनाममाला . २१८ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ प्रमय पुं न. ३७० हिंसा
प्रलय पुं १६१ प्रलयकाळ, क्षय . प्रमर्दन पुं २१९ (शे. ७५) विष्णु, कृष्ण | प्रलय पुं ३०७ मूर्छा (प्रमातामह) पुं ५५७ मातामहना पिता | प्रलाप पुं २७५ अर्थ विनानुं बोलq ते प्रमाद पुं १३८२ प्रमाद, अनवधानपणुं । प्रलापिन् पुं २२५ (शेः ७७) बळदेव प्रमापण न. ३७० हिंसा
प्रलोभ्य पुं ५७० (शे. ११९) निर्मळ केश प्रमीत पुं ३७३ मरेलो, मृत्यु पामेल प्रबड़ पुं १२९२ (शि. ११४) वानर, वांदरो प्रमीला स्त्री ३१३ निद्रा, ऊंघ, तन्द्रा प्रवण पुं ३८५ तत्पर, आसक्त प्रमुख न. १४३८ मुख्य, प्रधान, श्रेष्ठ | प्रवयण न. ८९३ परोणो, चाबुक प्रमृत न. ८६६ (शि. ७६) खेती प्रवयस् पुं ३३९ स्थविर, वृद्ध प्रमेह पुं ४७० बहु मूत्रतानो रोग प्रवर पुं ११७३ काळा मग .. प्रमोद पुं ३१६ आनंद, हर्ष
प्रवर न. १४३८ मुख्य, प्रधान प्रमोदित पुं १९० (शे. ४०) कुबेरदेव | प्रवर न. ६४० (शे. १३०) अगर, अगरु प्रयस्त न. ४११ सारी रीते संस्कारित अन्न, प्रवरवाहन (द्वि.व.) पुं १८२ (शे. ३६) - पकवान वगेरे
स्वर्गना वैद्य प्रयाणक न. ७८९ प्रयाण, गमन . प्रवर्ग पुं ८३६ यज्ञाग्नि, होम माटेनो अग्नि प्रयाम पुं १५१८ दुकाल, वजनमा समानता, प्रवर्ह न. १४३८ मुख्य, प्रधान
क्रियामां आदर . प्रवह पुं १५१४ जळ वगेरेनुं बहार जवू प्रयास पुं ३२० थाक, परिश्रम, कसरत | प्रवहण न. ७५३ चकडोळ, पडदावाळो रथ, प्रयुत पुं न. ८७३ १० लाख
पालखी प्रयोग पुं १५१० प्रयोग, कार्यनो आरंभ | प्रवहण न. ८७६ (शि. ७७) वहाण प्रयोजन न. १५१४ कार्य
प्रवल्हिका स्त्री २५९ प्रहेलिका, प्ररोह पुं १११८ अंकुरो, फणगो
गुप्त भाववाळु काव्य (प्रलम्बज) पुं २२४ बळदेव, कृष्णना प्रबाच् पुं ३४६ बोलवामां कुशळ
मोटा भाई प्रवाल पुं न. २९१ वीणानो वचलो दंड प्रलम्बभिद् पुं २२४ बळदेव, कृष्णना मोटा | प्रवाल पुं.न. १०६६ परवाळां भाई
प्रवाल पुं न. ११२४ नवी कुंपळ प्रलम्बाण्ड पुं ४५७ लांबा अंडकोशवाळो | प्रवासन न. ३७१ हिंसा