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- शब्दमाला . २१७ .
शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ | शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ प्रपद न. ६१७ पगनो आगलो भाग प्रभा स्त्री १०० किरण प्रपा स्त्री १००१ परब
प्रभा स्त्री १९० कुबेरनी नगरी प्रपात पुं ८०० धाड, छळकपटथी एकदम | प्रभा स्त्री २०५ (शे. ६१) पार्वती
छापो मारवो ते प्रभाकर पुं ९७ सूर्य प्रपात पुं १०३२ पर्वत, ऊंचुं स्थान, पर्वत | प्रभात न. १३८ प्रभातकाळ, सवार
उपरथी पडवानुं स्थान प्रभाव पुं ७४० तेज, सामर्थ्य, पराक्रम प्रपात १०७७ कांठो, किनारो
प्रभावती स्त्री ४० श्री मल्लिनाथ भगवाननी प्रपातिन् पुं १०२७ (शे. १५८). पर्वत
माता प्रपितामह ५५७ पितामहना पिता प्रभावती स्त्री २८९ गुणोनी वीणा 'प्रपुनड' पुं ११५८ कुंवाडियो प्रभासं पुं ३२ ११मा गणधर भगवान 'प्रपुनाड' पुं ११५८ कुंवाडियो प्रभिन्न पुं १२२०. महोन्मत्त हाथी प्रपुनाल पुं ११५८ कुंवाडियो । प्रभु पु ३५९. स्वामी, नायक प्रपुन्नाट पुं ११५८ पुंवाडीओ, दादरनाशक | | प्रभुत्वशक्ति स्त्री ७३५ कोश-दंडना - औषधि
प्रभावथी उत्पन्न थयेली शक्ति 'प्रपन्नाड' पुं ११५८ कुंवाडियो | प्रभूत न. १४२५ घj, अतिशय 'प्रपुनाल' पुं ११५८ कुंवाडियो . प्रभूष्णु पुं ४९१ समर्थ, सहनशील प्रपौत्र पुं ५४४ पौत्रनो पुत्र . प्रभ्रष्टक न. ६५२ शिखानी पेठे मस्तक उपर प्रफुल्ल न. ११२८ खीलेलु (फूल) पाछलना भागमां लटकती पुष्पमाळा प्रबुद्ध पुं ३४१ विद्वान, पंडित प्रमथ पुं २०१ (ब.व.) शंकरना गण प्रबुद्ध न. ११२७ खीलेलु (पुष्प) प्रमथन न. ३७० हिंसा प्रबोध पुं ३१९ जागq ते
प्रमथपति पुं १९९ शंकर प्रभञ्जन पुं ११०६ पवन, वायु | (प्रमथाधिप) पुं २०७ शंकर (प्रभव) पुं ३३ श्रुतकेवली प्रभव स्वामी | प्रमद पुं ३१६ मननी प्रसन्नता, हर्ष प्रभवप्रभु पु ३३ श्रुतकेवली प्रभव स्वामी प्रमदवन न. १११३ राणीओने (प्रभवस्वामिन् ) [ ३३श्रुतकेवली प्रभव स्वामी
. क्रीडा करवानो बाग प्रभविष्णु पुं ४९१ (शि. ३७) समर्थ, .. | प्रमदा स्त्री ५०५ प्रकृष्ट मदवाळी स्त्री
- सहनशील | प्रमनस् पुं ४३५ प्रसन्न मनवाळो