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________________ शब्दमाला • १९३ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ शब्द / लिंग / श्लोक / अर्थ परिस्यन्द पुं ७१५ नोकर चाकर वगेरे परिवार | परैधित पुं ३६१ चाकर, सेवक परिनुत् स्त्री ९०२ मदिरा (परोलक्ष) पुं १४२५ लाखथी वधारे परिस्त्रुता स्त्री ९०२ मदिरा | परोष्णी स्त्री १३३७ वागोळ, चामाचिडियु परिहार्य पुं ६६३ (शि. ५४) हाथना कांडानुं | (पर्कटिन्) पुं ११३१ पीपळ - घरेणुं, कडु, बंगडी वगेरे | पर्कटी स्त्री ११३१ पीपळ (परिहास) पुं ५५५ क्रीड़ा, रमत | पर्जन्य पुं १६४ मेघ परीक्षक पुं ४७९ परीक्षा करनार | पर्जन्य पुं १७२ इन्द्र परीत न. १४७५ घेरायेखें पर्ण न. ११२३ पांदडु 'परीभाव' पुं १४७९ तिरस्कार 'पर्ण' पुं ११३६ . पलाश परीरम्भ पुं १५०७ आलिंगन पर्णशाला स्त्री ९९४ झूपडूं, परीवार पुं ७८३ म्यान . मुनिओने रहेवानी कुटीर परीवाह पुं १०८८ वधी गयेला पाणीने | पणिन् पुं १.११४ वृक्ष, झाड नीकळवानो मार्ग. | पर्दन न. १४०३ पादq ते परीष्टि स्त्री ४९७ सेवा, भक्ति | पर्पट पुं ४०० (शे. ९७) पापड परीहास पुं ५५५ क्रीडा, रमत । | पर्पटी स्त्री १०५५ फटकडी परुत् अ. १५४२ (शे. २०५) पसर, . | पर्परीक पुं ११०० (शे. १६९) अग्नि . गयुं वर्ष | पर्यत पुं६५९ पलाठी परुल पुं १२३३ (शे. १७८) घोडो पर्यत पुं ६८३ खाटलो, पलंग परुष् न. ११३० गांठ पर्यटन न. १५०१ पर्यटन कर, ते परुष न. २६९ कठोर वचन (पर्यनुयोग) पुं २६३ प्रश्न परुष पुं १३८६ कठोर स्पर्श, निर्दय पर्यन्तपर्वत पुं १०३४ मुख्य पर्वतनी की परेत पुं ३७३ मरेलो परेत पुं १३५८ नरकमां उत्पन्न जीव पर्यन्तभू स्त्री ९६३ सीमाडो परेद्यवि अ. १५४२ (शे. २०३) बीजा | पर्यय पुं १५०४ अतिक्रम, क्रमनुं उल्लंघन . . . . दिवसे | पर्यवतथ्या स्त्री ६५५ (शि. ५३) वाळ परेष्ट स्त्री १२६८ मणी वखत . बांधवाने माटे मोतीनी सेरो - प्रसव करनारी गाय । पर्यस्तिका स्त्री ६७९ पलांठी नीचेनो पर्वत
SR No.016120
Book TitleShabdamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuktichandravijay, Munichandravijay
PublisherShantijin Aradhak Mandal
Publication Year2000
Total Pages474
LanguageGujarati
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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